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Coronavirus: 17 जून को नई व्यवस्था के तहत होगा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चुनाव

यूएनजीए के अध्यक्ष तिजानी मुहम्मद-बांदे ने कहा कि प्रत्येक यूएन सदस्य महासभा हॉल में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए अपना मत डालेंगे।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 01:51 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 01:51 PM (IST)
Coronavirus: 17  जून को नई व्यवस्था के तहत होगा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चुनाव
Coronavirus: 17 जून को नई व्यवस्था के तहत होगा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चुनाव

संयुक्त राष्ट्र, पीटीआई। इस महीने की 17 तारीख को होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र काउंसिल चुनाव के लिए कोरोना के प्रकोप को देखते हुए नई तरह से वोटिंग व्यवस्था की गई है। यूएनजीए के अध्यक्ष तिजानी मुहम्मद-बांदे (Tijjani Muhammad-Bande) ने कहा कि प्रत्येक सदस्य देश महासभा हॉल में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए अपना वोट डालेंगे। उन्होंने मंगलवार को घोषणा की थी कि सुरक्षा परिषद के पांच अस्थाई सदस्यों, आर्थिक और सामाजिक परिषद के सदस्यों और संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 75 वें सत्र के अध्यक्ष का चुनाव 17 जून को एक साथ किया जाएगा।

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भारत एशिया प्रशांत सीट से एकमात्र दावेदार है। ऐसा माना जा रहा है कि इस सीट पर भारत की जीत निश्चित है। नई दिल्ली की उम्मीदवारी को चीन और पाकिस्तान सहित 55 सदस्यीय एशिया-प्रशांत समूह द्वारा पिछले साल जून में सर्वसम्मति से समर्थन दिया गया था। पिछले हफ्ते महासभा ने COVID-19 महामारी के कारण प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए नई मतदान व्यवस्था के तहत सुरक्षा परिषद चुनाव कराने का निर्णय लिया था।भारत के दृष्टिकोण से चुनाव कब आयोजित होगा, इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि एशिया प्रशांत से भारत अकेला उम्मीदवार है और 2021 से इसका कार्यकाल शुरू होगा।

नई वोटिंग व्यवस्था के तहत, महासभा अध्यक्ष सभी यूएन सदस्य देशों को चुनाव से पांच दिन पहले विशिष्ट असेंबली स्लॉट के लिए सूचित करेंगे। इसके बाद जनरल असेंबली हॉल में मतदाता सोशल डिस्टेंसिंग दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए मतदान करेंगे।

जानें कब-कब यूएन का गैर-स्थायी सदस्य रहा भारत

भारत पहले भी कई बार यूएन का गैर-स्थायी सदस्य रह चुका है। इससे पहले 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और हाल ही में 2011-2012 में परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत को चुना गया था।

बता दें कि हर साल महासभा दो साल के कार्यकाल के लिए 5 गैर-स्थायी सदस्यों (कुल 10 में से) का चुनाव करती है। 10 गैर-स्थायी सीटें क्षेत्रीय आधार पर वितरित की जाती हैं। अफ्रीकी और एशियाई राज्यों के लिए 5, पूर्वी यूरोपीय राज्यों के लिए 1, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन राज्यों के लिए 2 और पश्चिमी यूरोपीय एवं अन्य राज्यों के लिए 1 सीट वितरित की जाती है।


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