टीका बना नहीं कि आगे आ गए खरीदार, अमेरिका ने किया 30 करोड़ वैक्सीन का सौदा
कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई भी टीका बन नहीं पाया है कि खरीदार जुटने लगे हैं। अमेरिका ने ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका से 30 करोड़ वैक्सीन का सौदा किया है।
बेंगलुरु, रायटर। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सभी देश इस समय वैक्सीन को ही इसका एकमात्र प्रभावी समाधान मानकर चल रहे हैं। इस समय दर्जनों कंपनियां इसका टीका विकसित करने की दिशा में काम भी कर रही हैं। इस बीच, प्रभावी साबित होने से पहले ही अमेरिका ने ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका से 30 करोड़ वैक्सीन खरीदने का सौदा कर लिया है। ब्रिटेन ने भी 10 करोड़ वैक्सीन खरीदने का सौदा पक्का किया है। सनद रहे कि अभी तक कोई भी टीका कोरोना वायरस पर पूरी तरह प्रभावी साबित नहीं हो पाया है।
सौदे को बताया महत्वपूर्ण
अमेरिका ने एस्ट्राजेनेका से 1.2 अरब डॉलर (करीब 9,000 करोड़ रुपये) में यह सौदा तय किया है। अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार ने इस सौदे को बहुत अहम बताया है। उन्होंने कहा कि इससे 2021 तक टीके की प्रभावी उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी... जिस टीके का सौदा हुआ है, उसे यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने विकसित किया है और एस्ट्राजेनेका ने इसका लाइसेंस लिया है। हालांकि, अभी कोविड-19 का कारण बनने वाले कोरोना वायरस पर इसका प्रभाव प्रमाणित नहीं हुआ है।
30,000 लोगों पर ट्रायल को मंजूरी देगा अमेरिका
इस सौदे के तहत अमेरिका क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण के लिए अपने यहां 30,000 लोगों पर इसके परीक्षण की अनुमति देगा। इस टीके का नाम एजेडडी 1222 है। इसके क्लीनिकल ट्रायल के पहले व दूसरे चरण की शुरुआत पिछले महीने हुई है। इसमें 18 से 55 साल की उम्र के 1,000 से ज्यादा स्वस्थ लोगों को शामिल किया गया है। इससे पहले जैव प्रौद्योगिकी कंपनी 'मॉडर्ना' ने भी दावा किया था कि उसके द्वारा विकसित किए गए टीके के शुरुआती परीक्षण के परिणाम आशाजनक रहे हैं। कंपनी का कहना था कि आठ स्वस्थ स्वयंसेवियों को टीके की दो-दो खुराक दी गई जिसके नतीजे अच्छे रहे थे। अब देखना यह है दुनिया में सबसे पहले कोरोना का टीका कहां बनता है।