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धरती के करीब मिला अनोखा एस्टेरॉयड! 54 साल पहले नासा के भेजे हुए रॉकेट का हो सकता है हिस्सा

यह एस्टेरॉयड करीब 26 फीट लंबा है। यह 32 फीट लंबे सेंटूर का हिस्सा है जिसकी चौड़ाई दस फीट थी। यह 2400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा है जो किसी सामान्य एस्टेरॉयड के धरती की ओर आने की रफ्तार से काफी कम है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 10:30 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 10:50 AM (IST)
54 साल पहले नासा के भेजे हुए रॉकेट का हिस्सा है जिसकी चंद्रमा पर लैंडिंग विफल रही थी।

केप कैनेवरल, एपी। धरती के करीब विज्ञानियों को नया एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) मिला है। अगले महीने इसके धरती के और करीब आने की संभावना है और यह एक छोटे चंद्रमा की तरह दिखाई दे सकता है। अंतरिक्ष में पाए जाने वाले चट्टानी एस्टेरॉयड से अलग यह एक रॉकेट जैसा है। संभावना यह है कि यह 54 साल पहले नासा के भेजे हुए रॉकेट का हिस्सा है जिसकी चंद्रमा पर लैंडिंग विफल रही थी।

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जब उसे वापस धरती पर लाया जा रहा था, तब उसका कुछ हिस्सा अंतरिक्ष में छूट गया होगा। इस एस्टेरॉयड का पता लगाने वाले विज्ञानी पॉल चोडस ने कहा, 'मैं इसे देखकर हैरान हूं। अंतरिक्ष में इस तरह की चीजों को ढूंढ़ना मेरा शौक है। यह कार्य मैं दशकों से कर रहा हूं। चोडस ने इस एस्टेरॉयड को 2020 एसओ का नाम दिया है। उन्होंने बताया कि वास्तव में यह नासा के छोड़े सेंटूर रॉकेट का ऊपरी भाग है, जो 1966 में छोड़ा गया था। यह अभियान चंद्रमा की सतह से टकराकर कुछ उसी तरह से विफल रहा जिस तरह से इस साल भारत का चंद्रमा पर भेजा गया लेंडर अभियान विफल रहा था।

सेंटूर रॉकेट का एक हिस्सा, जिसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के विज्ञानी प्रक्षेपण केंद्र की ओर ले जा रहे हैं। फाइल/एपी

सूर्य के चक्कर लगा रहा है एस्टेरॉयड : बीते सितंबर महीने में दुनिया जब कोरोना संक्रमण से जूझ रही थी उसी दौरान चोडस ने अमेरिका के हवाई द्वीप से टेलीस्कोप के जरिये इस एस्टेरॉयड सरीखे रॉकेट के टुकड़े को ढूंढ़ निकाला। सोलर सिस्टम में मौजूद यह चमकीला एस्टेरॉयड उसी तरह से सूर्य के चक्कर लगा रहा है जिस तरह से पृथ्वी लगा रही है। एक एस्टेरॉयड के रूप में इसका व्यवहार हैरान कर देने वाला है।

2400 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आ रहा धरती की ओर : यह एस्टेरॉयड करीब 26 फीट लंबा है। यह 32 फीट लंबे सेंटूर का हिस्सा है जिसकी चौड़ाई दस फीट थी। यह 2,400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा है, जो किसी सामान्य एस्टेरॉयड के धरती की ओर आने की रफ्तार से काफी कम है। चोडस नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज में डायरेक्टर हैं।

एस्टेरॉयड क्या है : एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह ऐसे खगोलीय पिंड होते हैं जो ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं। आकार में ये ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडों से बड़े होते हैं। 1819 में खगोलविद ग्यूसेप पियाजी ने सबसे पहला क्षुद्रग्रह 'सेरेस' खोजा था। लेकिन हाल ही में खोजा गया '2020 एसओ' वास्तव में एस्टेरॉयड नहीं है। यह पूर्व में प्रक्षेपित किए गए एक रॉकेट का हिस्सा है।


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