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अमेरिका में कोरोना वायरस के चलते रोजी रोटी का संकट, अप्रैल में और विनाशकारी होंगे हालात

कोरोना वायरस के संक्रमण से अमेरिका में त्राहिमाम की स्थिति‍ है। अमेरिका के श्रम विभाग ने कहा है कि देश में बेरोजगारी दर 4.4 फीसद तक बढ़ गई है। पढ़ें यह हैरान करने वाली रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 10:20 PM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 07:53 AM (IST)
अमेरिका में कोरोना वायरस के चलते रोजी रोटी का संकट, अप्रैल में और विनाशकारी होंगे हालात
अमेरिका में कोरोना वायरस के चलते रोजी रोटी का संकट, अप्रैल में और विनाशकारी होंगे हालात

वाशिंगटन, एएफपी। कोरोना वायरस के चलते अमेरिकी अर्थव्यस्था जहां बदहाल हुई है, वहीं इसका असर रोजगार पर भी पड़ा है। कंपनियों द्वारा छंटनी किए जाने से बेरोजगारी में काफी इजाफा हुआ है। सरकारी आंकड़ों मुताबिक, आने वाले दिनों में स्थिति नाटकीय रूप से खराब हो सकती है। श्रम विभाग ने बताया कि अमेरिकी रोजगार में मार्च में 7,01,000 तक की गिरावट आई और बेरोजगारी दर 4.4 फीसद तक बढ़ गई। फिर भी विभाग ने स्वीकार किया कि उसके आंकड़े अभी तक नुकसान की पूरी सीमा को पकड़ नहीं सके हैं। वहीं अर्थशास्त्रि‍यों को डर है कि अप्रैल में आंकड़े विनाशकारी होंगे...

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भूतहा लगने लगे शहर

अमेरिका में जहां मृतकों की संख्या छह हजार को पार कर चुकी है, शहर भूतहा लगने लगे हैं। अधिकारी अर्थव्यवस्था और व्यक्तियों की बर्बादी को कम करने का तरीका खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ग्रांट थॉर्नटन की डायन स्वांक ने कहा कि मार्च में रोजगार में गिरावट मंदी की शुरुआत के लिहाज से अभूतपूर्व थी और अप्रैल में स्थिति 20 गुना से भी ज्यादा खराब हो जाएगी। उन्होंने एक विश्लेषण में कहा कि हम इस संकट के पहले दो महीनों में बड़ी आर्थिक मंदी के दौरान कई नौकरियां अधिक आसानी से खो देंगे।

विनाशकारी होंगे अप्रैल में आंकड़े

मासिक रिपोर्ट से पता चलता है कि मार्च 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के अलावा 45 से अधिक वर्षों में बेरोजगारी दर पिछले महीने सबसे ज्यादा रही। हालांकि, श्रम विभाग ने कहा है कि वह मार्च में जॉब मार्केट पर महामारी के प्रभावों का ठीक से आकलन नहीं कर सका है। उन लोगों को गिनने में त्रुटि हो सकती है, जो पिछले महीने बेरोजगार हुए। विभाग के अनुसार जितने लोगों के बेरोजगार होने की बात कही जा रही है, वास्तविक आंकड़ा उससे अधिक हो सकता है। अर्थशास्त्रि‍यों को आशंका है कि अप्रैल में आंकड़े विनाशकारी होंगे। बेरोजगारी की दर दोहरे अंकों में होगी और दो करोड़ लोगों के बेरोजगार होने का खतरा है।

ट्रंप ने माना- युद्ध जैसे हालात

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी माना है कि उनके देश में युद्ध जैसे हालात हो गए हैं। इस स्थिति से मुकाबले के लिए अमेरिकी सेना की भूमिका बढ़ाई जा रही है। उन्होंने अमेरिकियों को मास्क पहनने की सलाह दी, लेकिन खुद इसे पहनने से परहेज किया। अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। बीते 24 घंटे में ही 33 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आने से पीडि़तों का आंकड़ा पौने तीन लाख के पार पहुंच गया है। जबकि एक दिन में रिकॉर्ड 1,500 से अधिक पीडि़तों के दम तोड़ने से मरने वालों की संख्या करीब साढ़े सात हजार हो गई है।

दस दिनों में अपने चरम पर होगी महामारी

ट्रंप ने ह्वाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'हम अदृश्य दुश्मन के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं। इस जंग में न्यूयॉर्क हॉटस्पाट बन गया है। न्यूयॉर्क के लोग महामारी के सबसे बुरे नतीजे का सामना कर रहे हैं।' राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का हवाला देते हुए लोगों से घर पर बने कपड़े का मास्क पहनने और चिकित्साकर्मियों के लिए मेडिकल मास्क की उपलब्धता बनाए रखने का आग्रह किया। वहीं गठित ह्वाइट हाउस के टास्क फोर्स के कई सदस्यों ने यह संभावना जताई है कि अमेरिका में यह बीमारी अगले दस दिनों में अपने चरम पर होगी।

आपात चिकित्सा भंडार खाली

अमेरिकी सरकार का आपात चिकित्सा भंडार खाली हो गया है। कई राज्यों के गवर्नर्स और मेयर्स ने इस पर चिंता जताई है। ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल में कहा था, 'संघीय सरकार का चिकित्सा सामग्री आपात भंडार लगभग खाली हो गया है। राज्यों की ओर से मास्क, ग्लव्स आदि की निरंतर मांग की जा रही है।' महामारी का केंद्र बने न्यूयॉर्क राज्य में सबसे ज्यादा संक्रमित हैं। इस राज्य में कोरोना मामलों का आंकड़ा एक लाख के पार पहुंच गया है। इस राज्य में तीन हजार से ज्यादा पीड़‍ितों की मौत भी हो चुकी है। जबकि पड़ोसी न्यूजर्सी में 30 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।

टेंटों में रखे मरीज

न्यूयॉर्क में कई अस्पतालों के बाहर टेंटों में रखे गए मरीजों में से कईयों की हालात बेहद गंभीर है। इन्हें अपने करीबी लोगों से मिलने तक नहीं दिया जा रहा है। क्योंकि यह आशंका है कि इनसे मिलने वालों में संक्रमण फैल सकता है। ऐसे लोगों को मरने के लिए अकेले छोड़ दिया गया है। न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में वैश्विक स्वास्थ्य के निदेशक डॉ. क्रेग स्पेंसर ने अस्पतालों के बाहर बनाए गए टेंटों का हाल बयां किया है। उन्होंने ट्वीट के जरिये कहा, 'कुछ टेंटों में मैंने बहुत दर्द, अकेलापन और मौत को देखा। लोग अकेले में मर रहे हैं।'


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