चौंकाने वाली है यूएन की रिपोर्ट, कोरोना वायरस की चपेट में हैं दुनिया के एक अरब दिव्यांग
पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 38 लाख के पार जा पहुंचा है। इनमें एक अरब से ज्यादा दिव्यांग भी शामिल है। यूएन की एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बुधवार कहा कि दुनिया में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावितों में एक अरब दिव्यांग भी हैं। उनका यह वीडियो संदेश संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के साथ जारी किया गया है। इसके अनुसार, दुनिया में 15 फीसदी लोग दिव्यांग और 46 फीसदी लोग 60 साल से अधिक उम्र के हैं। आश्रमों व संस्थाओं में रह रहे दिव्यांग और बुजुर्ग अधिक जोखिम में हैं। गुतारेस ने कहा कि कुछ देशों में स्वास्थ्य सेवाओं का वितरण उम्र या गुणवत्ता या जीवन के महत्व की धारणा, जिसका आधार दिव्यांगता है, जैसे भेदभावों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हमें गारंटी देनी चाहिए कि दिव्यांगों को देखभाल समान अधिकार मिले। हम इसे जारी नहीं रहने दे सकते।
आपको बता दें दो ही दिन पहले संयुक्त राष्ट्र की ही एक एजेंसी यूनिसेफ ने अपनी लॉस्ट एट होम नामक रिपोर्ट में कहा था कि साल 2019 में संघर्ष और हिंसा की वजह से दुनियाभर में करीब 1.9 करोड़ बच्चे अपने ही देशों में विस्थापित बनकर रह रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार इनमें से कुछ तो सालों से ऐसे ही जिंदगी बिता रहे हैं। 2019 के अंत तक 4.6 करोड़ लोग संघर्ष व हिंसा से अपने ही देशों में विस्थापित होकर रह गए। लॉस्ट एट होम नामक एक रिपोर्ट के अनुसार इनमें से दस में से सर्वाधिक चार या 1.9 करोड़ बच्चे ही थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में 38 लाख बच्चे संघर्ष और हिंसा के कारण और 82 लाख बच्चे आपदाओं के कारण बेघर हो गए हैं।
इस रिपोर्ट का यहां पर इसलिए जिक्र किया गया है क्योंकि इसमें कोरोना संकट के काल और बच्चों की मौजूदा हालात पर भी रोशनी डाली गई थी, जिसको समझना बेहद जरूरी है। इसमें कहा गया था कि ये बच्चे ऐसी तंग जगहों पर रहने को मजबूर हैं जहां पर न तो स्वास्थ्य सेवाएं ही अच्छी हैं और न ही यहां पर एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखना संभव है। इसके अलावा इन तंग बस्तियों या अस्थाई शिविरों में गंदगी का बेहद बुरा हाल है। ऐसे में यहां पर कोरोना वायरस फैलने की तमाम सामग्री मौजूद है। इसका जीता जागता उदाहरण मुंबई की धारावी स्लम कॉलोनी भी है। ये एशिया की सबसे बड़ी स्लम कॉलोनी है। बेहद तंग होने की वजह से यहां पर न तो स्वास्थ्य सुविधाएं अन्य इलाकों के मुकाबले अच्छी हैं और न ही साफ सफाई की व्यवस्था ही बेहतर है। मुंबई की इस बस्ती में कोरोना संक्रमण के मामले 700 से भी पार जा चुके हैं।