IS बंदियों के पक्ष में उतरीं UN मानवाधिकार प्रमुख, कहा मुकदमा चलाएं या रिहा करें
यूएन की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बचेलेट आतंकी संगठन आइएस से जुड़ाव रखने पर सीरिया और इराक में बंदी को लेकर कहा है कि या तो इनपर निष्पक्ष मुकदमा चलाया जाए या रिहा कर दिया जाए।
जिनेवा, रायटर। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बचेलेट आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जुड़ाव रखने पर सीरिया और इराक में बंदी बनाए गए करीब 55 हजार लोगों के पक्ष में खुलकर सामने आ गई हैं। उन्होंने कहा कि इन बंदियों पर निष्पक्ष मुकदमा चलाया जाए या फिर इन्हें रिहा किया जाए।
मिशेल ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कहा कि देशों को अपने नागरिकों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और आतंकियों के बच्चों को यह दंड नहीं दिया जाना चाहिए कि वे किसी देश के नागरिक नहीं हैं। वे पहले से ही समस्याओं में घिरे हुए हैं। उन्होंने कहा, 'करीब 50 देशों के संदिग्ध विदेशी आतंकियों समेत 55 हजार लोगों और उनके 11 हजार पारिवारिक सदस्यों को पूर्वोत्तर सीरिया के अल-अल कैंप में बंदी बनाकर रखा गया है। यहां बेहद बदतर हालात हैं। निष्पक्ष ट्रायल के जरिये समाज को कट्टरता और ¨हसा के खतरे से सुरक्षित किया जाना चाहिए और कानून के अभाव में उन लोगों को बंदी बनाए रखना स्वीकार्य नहीं है, जिन पर कोई अपराध करने का संदेह न हों।'
अपने नागरिकों को नहीं ले रहे पश्चिमी देश
अमेरिका समर्थित सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्स (एसडीएफ) ने सीरिया में बचे आइएस के अंतिम गढ़ पर पिछले साल नियंत्रण पा लिया था। इसके बाद से ही पूर्वोत्तर सीरिया के अधिकारी पश्चिमी देशों से यह आग्रह कर रहे हैं कि वे आइएस से जुड़ने वाले अपने नागरिकों और उनके रिश्तेदारों को वापस ले लें। लेकिन एक-दो देशों को छोड़ कोई रुचि नहीं दिखा रहा है।
आइएस से जुड़ने सीरिया और इराक गए थे विदेशी
आइएस ने साल 2014 में सीरिया और इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। तब इस आतंकी संगठन से जुड़ने के लिए दुनिया के कई देशों के नागरिक इन देशों में पहुंचे थे। ये दोनों देश अब आइएस से पूरी तरह मुक्त करा लिए गए हैं।
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