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बोल्टन की किताब का प्रकाशन रुकवाने कोर्ट पहुंचे ट्रंप के वकील, पढ़ें- बुक में किए गए खुलासे

बुक रिलीज करने पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने मांगी कुछ और जानकारियां।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 04:05 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 04:05 PM (IST)
बोल्टन की किताब का प्रकाशन रुकवाने कोर्ट पहुंचे ट्रंप के वकील, पढ़ें- बुक में किए गए खुलासे

वाशिंगटन, एपी। ट्रंप प्रशासन के वकीलों ने पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की किताब का प्रकाशन रोकने का अनुरोध किया है। उनकी दलील है कि बोल्टन ने अंतिम मंजूरी मिले बिना ही अपनी किताब को प्रकाशित करने का फैसला लेकर स्वयं परेशानी खड़ी की है। उन्होंने इस बात की मंजूरी नहीं ली कि किताब में गोपनीय सूचनाएं नहीं हैं। हालांकि बोल्टन की ओर से पेश हुए वकील ने सरकार के अनुरोध को अवास्तविक और अव्यावहारिक बताया, खासतौर से तब, जब इस किताब की प्रतियां पहले ही प्रमुख मीडिया संस्थानों को जारी कर दी गई हैं और यह काफी चर्चा में आ चुकी है।

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अमेरिका के डिस्टि्रक जज रॉयस लैमबर्थ ने तत्काल फैसला सुनाने से इन्कार करते हुए मामले से जुड़ी कुछ और जानकारी मांगी है। न्याय विभाग ने 'द रूम वेयर इट हैपेंड' किताब के अगले हफ्ते होने वाले विमोचन पर रोक लगाने के लिए मुकदमा दायर किया है। विभाग ने दलील दी कि इस किताब में गोपनीय सूचनाएं हैं जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंच सकता है और कहा कि बोल्टन ने इस किताब के प्रकाशन से पूर्व की समीक्षा प्रक्रिया पूरी नहीं की है।

बता दें कि बोल्टल ने अपनी किताब में दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव जीतने के लिए चीन की मदद मांगी थी। इतना ही नहीं उन्होंने चीन के नेताओं के खिलाफ आपराधिक जांच भी रुकवाने का लालच दिया था। हालांकि ट्रंप ने किताब को झूठ का पुलिंदा करार दिया था। विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने भी किताब में दी गई जानकारियों का खंडन किया था।

इसके अलावा पुस्तक में डोनाल्ड ट्रंप पर गंदा कृत्य का आरोप भी लगाया गया है और बोल्टन ने ट्रंप को राष्टपति पद के लायक नहीं बताया है। वहीं, पोम्पियो ने गुरुवार को  जॉन बोल्टन को 'देशद्रोही' करार दिया था। पोम्पियो ने एक बयान में कहा था, 'यह दुखद और खतरनाक दोनों है कि जॉन बोल्टन की अंतिम सार्वजनिक भूमिका एक गद्दार की है जिन्होंने अपने लोगों के साथ एक पवित्र विश्वास का उल्लंघन करके अमेरिका को नुकसान पहुंचाया।'


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