यदि आप भी हैं भूलने वाली बीमारियों से परेशान, तो सावधान रहें इन विज्ञापनों से
भूलने की समस्या होने पर लोग इसे अल्जाइमर और डिमेंशिया की शुरुआत समझ लेते हैं और बीमारी से बचने के लिए अच्छी-खासी कमाई झोंक देते हैं।
वाशिंगटन, द न्यूयॉर्क टाइम्स। आजकल कई लोग मस्तिष्क की सोचने-समझने की शक्ति को प्रभावित करने वाली बीमारियों से जूझने लगे हैं। इनमें अल्जाइमर और डिमेंशिया बीमारियों के नाम प्रमुख है। मुख्य लक्षण के तौर पर पीड़ितों में इसकी शुरुआत भूलने की आदत से होती है। लेकिन वास्तविक स्थिति को जाने बिना ही कई लोग दूसरी स्थितियों को ऐसी बीमारियों की शुरुआत समझ लेते हैं। परिणामस्वरूप बीमारी से बचने के आनन-फानन किए गए प्रयास में लोग डाइट्री सप्लीमेंट्स के लोकलुभावन विज्ञापनों में फंस जाते हैं। इसमें लोग अपनी अच्छी-खासी कमाई भी झोंक देते हैं।
अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी विज्ञान की विशेषज्ञ डॉक्टर जोआना हेलमुथ बताती हैं कि अभी तक किसी कंपनी का ऐसा कोई सप्लीमेंट नहीं है जो तेजी से घट रही सोचने-समझने की शक्ति को रोक सके। हालांकि, इंटरनेट और टेलीविजन के माध्यम से छोटी से लेकर बड़ी कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को लुभाने के उद्देश्य से कई ऐसे सप्लीमेंट पेश किए जा रहे हैं जिनसे यादाश्त बढ़ जाने का दावा किया जाता है।
विशेषज्ञ इन डाइट्री सप्लीमेंट्स से कोई विशेष फायदा नहीं देखते हैं। इनसे बने सप्लीमेंट्स को कंपनियां इस तरह से पेश करती हैं कि इनके नियमित उपयोग से भविष्य में डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसे रोग होने की संभावना ही नहीं है। अपने उत्पाद की विश्वसनीयता साबित करने के लिए ऐसे लोगों के बयान दिखाए जाते हैं जो किसी खास सप्लीमेंट के सेवन से डिमेंशिया और अन्य बीमारियों के चंगुल से बच गए हैं। ऐसे इन विज्ञापनों में सप्लीमेंट के वैज्ञानिक तथ्यों की बात नहीं कही जाती।
क्या है निदान?
विशेषज्ञ बताते हैं कि सही खान-पान, रोजाना कसरत और अच्छी नींद लेने भर से इन बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। नशा याददाश्त कमजोर करता है। धूमपान भूलने वाली बीमारियों को और अधिक बढ़ा देती है। हां, खाने में वो आहार शामि करें जिनसे ओमेगा-3 फैटी एसिड मिल सके। इनके होने से याददाश्त सही रखने में विशेष फायदा पहुंचता है।