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फास्‍ट और प्रोसेस्‍ड फूड को लेकर यूएन यूएन ने किया आगाह, ओवरीन कैंसर का बन सकता है कारण

प्रोसेस्‍ड फूड के इस्‍तेमाल से ओवरीन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यूएन के वैज्ञानिकों की रिसर्च में ये बात सामने आई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 07:11 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 07:11 PM (IST)
फास्‍ट और प्रोसेस्‍ड फूड को लेकर यूएन यूएन ने किया आगाह, ओवरीन कैंसर का बन सकता है कारण
फास्‍ट और प्रोसेस्‍ड फूड को लेकर यूएन यूएन ने किया आगाह, ओवरीन कैंसर का बन सकता है कारण

न्‍यूयॉर्क (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। दौड़ते भागते जीवन में हम सभी अपनी भूख को मिटाने के लिए प्रोसेस्‍ड फूड या जल्‍दी बन जाने वाले फास्‍ट फूड पर काफी निर्भर हो गए हैं। लेकिन ये हमारे शरीर के लिए काफी हानिकारक भी हैं। कई बार इसको लेकर डॉक्‍टरों और वैज्ञानिकों की राय सामने आती हैं। लेकिन अब संयुक्‍त राष्‍ट्र की तरफ से इसको लेकर आगाह किया गया है। दरअसल ऐसे खाने के पदार्थों में जिस चीन का इस्‍तेमाल होता है उससे ओवरीन या अंडाशय का कैंसर होने की संभावना काफी अधिक होती है।

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संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों ने ट्रांसफेट्स और ओवरीन कैंसर में आपसी संबंध होने की बात कही है। इसका अर्थ है कि ये पदार्थ इस तरह के कैंसर का कारण बनता है। दरअसल, तले हुए खाने-पीने के पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड को कंपनियों द्वारा लंबे समय तक संरक्षित किए जाने के लिए जो चीजें इस्‍तेमाल होती हैं उनमें ट्रांसफेट्स (Transfats) होता है। ये एक अनसेचुरेटेड फेट होता है जो नेचुरल और आर्टिफिशियल दोनों ही हो सकता है। आपको बता दें कि महिलाओं में कैंसर के कारण होने वाली मौतों में अंडाशय कैंसर 8वें नंबर र पर है।

ट्रांसफेट्स आमतौर पर तले हुए खाने, बड़े पैमाने पर मशीनों के जरिये बनाए गए भोजन और हल्के नाश्ते के लिए इस्तेमाल किये जानने वाले पदार्थों (स्नैक्स) इत्यादि में पाया जाता है। प्रोसेस्‍ड और फास्‍ट फूड को इसे लंबे समय तक इस्तेमाल के लायक बनाने के लिये औद्योगिक प्रक्रिया के जरिये तरल वनस्पति तेल में हाइड्रोजन मिलाकर तैयार किया जाता है। कैंसर पर रिसर्च के लिए अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी (International Agency for Research on Cancer)ने एक अध्ययन के नतीजे प्रकाशित किए हैं जिनमें इस बीमारी से पीड़ित डेढ़ हजार से ज्‍यादा मरीजों का अध्ययन किया गया।

इससे पहले भी कुछ अन्य सीमित अध्ययनों में औद्योगिक रूप से बनाए जाने वाले फैटी फूड्स और अंडाशय कैंसर में संबंध की आशंका जताई गई थी लेकिन अभी तक पक्के निष्कर्ष नहीं निर्धारित किये गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से जुड़े कैंसर रिसर्च एजेंसी की डॉक्टर इंगे हॉएबरेख्‍त्‍से ने बताया कि यूरोप में किया जाने वाला यह पहला अध्ययन है जिसमें औद्योगिक ‘ट्रांस फैटी अम्लों’ (Trans fatty acids) का सेवन करने और अंडाशय कैंसर होने के बीच संबंध को दर्शाया गया है।

कैंसर पर ट्रांस फैटी अम्लों के प्रभाव पर शोध का दायरा अभी तक सीमित रहा है हालांकि पुराने अध्ययन में बताया गया था कि औद्योगिक 'ट्रांस फैटी एसिड' के सेवन से मोटापे और सूजन (Inflammation) जैसी कठिनाइयां पैदा हो सकती हैं। रिसर्च एजेंसी के मुताबिक अंडाशय कैंसर के लिये ये दोनों कारक जोखिम बढ़ाने वाले हैं और इनसे कम से कम आंशिक रूप से समझा जा सकता है कि इन फैटी एसिड्स और अंडाशय कैंसर में संबंध ह।

यूएन के मुताबिक वर्ष 2018 में अंडाशय कैंसर के तीन लाख से ज्‍यादा मामले सामने आए थे और एक लाख 84 हजार से ज्‍यादा की मौतें हुई थी। कैंसर के कुल मामलों के हिसाब से इसका 8वां स्थान है और महिलाओं में कैंसर के कारण होने वाली मौतों के लिए भी। अंडाशय कैंसर के बढ़ते मामलों के मद्देनजर बचाव के लिये रोकथाम के उपायों की शिनाख्‍त को जरूरी बताया गया है। रिसर्च एजेंसी के वैज्ञानिकों का कहना है कि ताजा अध्ययन के निष्कर्ष यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) की उन सिफारिशों के अनुरूप हैं जिनमें भोजन से औद्योगिक ट्राँस फैटी अम्लों को हटाने की बात कही गई है। उनके मुताबिक औद्योगिक स्तर पर तैयार किये जाने वाले प्रोसेस्ड फूड, फास्‍ट फूड के सेवन की मात्रा घटाने से अंडाशय कैंसर का खतरा कम किया जा सकता है। साथ ही कैंसर सहित अनेक अन्य बीमारियों की भी रोकथाम सम्भव है।


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