TikTok एप पर डाटा चीन भेजने का संदेह, अमेरिका ने शुरू की जांच
लोकप्रिय वीडियो शेयरिंग एप टिक-टॉक चीन को डाटा भेजने के संदेह के दायरे में आ गया है। अमेरिका ने इस चीनी एप के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
वाशिंगटन, जेएनएन। लोकप्रिय वीडियो शेयरिंग एप टिक-टॉक चीन को डाटा भेजने के संदेह के दायरे में आ गया है। अमेरिका ने इस चीनी एप के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। जासूसी के संदेह में ट्रंप प्रशासन चीन की टेलीकॉम कंपनी हुआवे समेत कई प्रौद्योगिकी कंपनियों पर पहले ही रोक लगा चुका है।
जांच से जुड़े करीबी अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका में विदेशी निवेश पर बनी समिति इस मामले की समीक्षा कर रही है। यह संघीय समिति राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर विदेशियों द्वारा अमेरिकी कंपनियों के अधिग्रहण की समीक्षा करती है। यह गोपनीय जांच सांसदों की ओर से चिंता जताए जाने के बाद शुरू हुई है। कई सांसदों ने अमेरिका में टिक-टॉक के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जताई थी। एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी सरकार के पास एप की ओर से डाटा चीन भेजे जाने के सुबूत हैं। इस जांच पर चीनी कंपनी बाइटडांस के प्रवक्ता ने एक ईमेल में कहा, 'हम नियामक की प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। टिक-टॉक का यह स्पष्ट रुख है कि अमेरिका में यूजर्स और नियामकों का विश्वास जीतने से ज्यादा हमारे लिए कोई उच्च प्राथमिकता नहीं है। टिक-टॉक ने किसी यूजर का डाटा चीन नहीं भेजा।'
अमेरिकी एप का अधिग्रहण कर दिया था टिक-टॉक नाम
चीन की सात साल पुरानी बाइटडांस नामक कंपनी ने नवंबर, 2017 में करीब एक अरब डॉलर में अमेरिका के म्यूजिकल डॉट एलवाई एप का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण के समय म्यूजिकल डॉट एलवाई अमेरिका में काफी लोकप्रिय था। अमेरिका और यूरोप में इसके करीब छह करोड़ यूजर थे। बाइटडांस ने कहा था कि म्यूजिकल डॉट एलवाई को चीनी एप से अलग रखा जाएगा, लेकिन एक साल के अंदर ही इसका इसी तरह की सेवा में विलय कर टिक-टॉक नाम दे दिया गया।
75 करोड़ बार डाउनलोड हुआ टिक-टॉक
रिसर्च फर्म सेंसर टॉवर के अनुसार, पिछले 12 महीनों के दौरान टिक-टॉक एप 75 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया। यह आंकड़ा फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और स्नैपचैट को डाउनलोड किए जाने की तुलना में कहीं ज्यादा है।