चीन ने अपनी नीति नहीं बदली तो तिब्बती मरेंगे धीमी मौत, खतरे में जल-जंगल और जमीन: तिब्बती प्रशासन
China News केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रमुख सिक्योंग पेन्पा सेरिंग ने मंगलवार को अमेरिकी सांसदों से कहा कि अगर चीन ने अपनी वर्तमान नीति नहीं बदली तो तिब्बत और तिब्बती लोग धीरे-धीरे मौत के शिकार होंगे। File Photo
वाशिंगटन, पीटीआई। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रमुख सिक्योंग पेन्पा सेरिंग ने मंगलवार को अमेरिकी सांसदों से कहा कि अगर चीन ने अपनी वर्तमान नीति नहीं बदली तो तिब्बत और तिब्बती लोग धीरे-धीरे मौत के शिकार होंगे। सेरिंग ने कहा कि 2000 की शुरुआत से ही चीन पश्चिमी विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों का बेतहाशा उपयोग कर रहा है और यहां बांधों, रेलवे-सड़क और हवाई अड्डों आदि का अंधाधुंध निर्माण कर रहा है। इससे तिब्बत का नाजुक पर्यावरण हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
तिब्बती नेता ने मध्यस्थता से समाधान निकालने पर दिया जोर
"तिब्बत का संरक्षण: सांस्कृतिक क्षरण, जबरन समावेश और अंतरराष्ट्रीय दमन का मुकाबला" पर अमेरिकी कांग्रेस की समिति के समक्ष गवाही देते हुए सेरिंग ने कहा कि तिब्बत का पर्यावरण नष्ट होने से तिब्बत ही नहीं, बल्कि इसके नीचे की तरफ वाले देशों के लगभग 2 अरब लोगों के भोजन, अर्थव्यवस्था और जल सुरक्षा पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेंगे।
सेरिंग ने कहा कि अगर चीनी शासकों ने अपनी मौजूदा नीतियां नहीं बदलीं, तो तिब्बत के लोग मरेंगे। उन्होंने अमेरिकी सांसदों से यह भी साफ किया कि तिब्बती लोगों के चुने गए नेता के रूप में, वह दलाई लामा द्वारा दिखाए गए मध्य मार्ग का पालन करेंगे। इसके तहत चीन-तिब्बत संघर्ष का अहिंसक, दोनों के लिए लाभप्रद और स्थायी समाधान खोजा जाएगा।
रिचर्ड गेर ने तिब्बत-चीन विवाद में मांगा अमेरिका का साथ
तिब्बत के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान के अध्यक्ष रिचर्ड गेर ने इस अवसर पर कहा कि दशकों से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नीति रही है कि मुख्यधारा चीनी लोगों से अलग नस्लों को नियंत्रित किया जाए, उनके अस्तित्व को नकारा जाए, उन्हें नष्ट किया जाए और उनका समावेश कर लिया जाए। गेर ने सांसदों से आग्रह किया कि अमेरिकी कांग्रेस और राष्ट्रपति जो बाइडेन को यह संकल्प पारित करना चाहिए कि तिब्बत-चीन विवाद में अमेरिका तिब्बत का साथ देगा।
बता दें 1959 में तिब्बत में स्थानीय लोगों के विद्रोह पर चीनी कार्रवाई के बाद 14वें दलाई लामा भारत भाग आए। बीजिंग, दलाई लामा पर "अलगाववादी" गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि, दलाई लामा कह चुके हैं कि वह तिब्बत की स्वतंत्रता नहीं बल्कि तिब्बतियों के लिए उचित स्वायत्तता मांग रहे हैं।