चीन से तनाव के बीच भारत को रूसी हथियारों से दूर करने के लिए तीन अमेरिकी सीनेटरों का विधायी संशोधन पेश
भारत-अमेरिका की मजबूत रक्षा भागीदारी को हिंद प्रशांत क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका के तीन सीनेटरों ने एक विधायी संशोधन पेश किया है। विधेयक में कहा गया है कि यह बाइडन प्रशासन को भारत को रूसी हथियारों से दूरी बनाने के लिए प्रेरित करने का अनुरोध करता है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। साझे लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित भारत-अमेरिका की मजबूत रक्षा भागीदारी को हिंद प्रशांत क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका के तीन सीनेटरों ने एक विधायी संशोधन पेश किया है। विधेयक में कहा गया है कि यह बाइडन प्रशासन को भारत को रूसी हथियारों से दूरी बनाने के लिए प्रेरित करने का अनुरोध करता है। सीनेट में भारतीय काकस के सह-अध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर, सीनेटर जैक रीड व जिम इनहोफ ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार अधिनियम में संशोधन को लेकर कहा कि भारत अपनी सीमा पर चीन से गंभीर खतरे का सामना कर रहा है।
कहा, चीन सीमा पर गतिरोध के बीच भारत को दिलानी होगी साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की याद
दरअसल, मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ से भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी कड़वाहट आ गई है और सीमा पर सैन्य गतिरोध बना हुआ है। संशोधन में कहा गया है कि अमेरिका को भारत की रक्षा जरूरतों का समर्थन करते हुए उसे रूस निर्मित हथियार व रक्षा प्रणाली न खरीदने के लिए प्रेरित करने को अतिरिक्त कदम उठाने चाहिए। भारत अपनी राष्ट्रीय रक्षा के लिए रूस निर्मित हथियारों पर अधिक निर्भर रहता है। अक्टूबर, 2018 में भारत ने अमेरिकी चेतावनी को दरकिनार करते हुए एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच यूनिट खरीदने के लिए पांच अरब डालर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत ने एयर डिफेंस सिस्टम एस 400 को किया था समझौता
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5 एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 मिसाइल प्रणालियों के लिए 5.5 अरब डालर के आर्डर पर हस्ताक्षर किया था। हालांकि शुरुआत में यह कहा गया था कि डिलीवरी 24 महीनों के भीतर शुरू हो जाएगी, कई कारकों के कारण प्रक्रिया में देरी हुई थी। भारत को रूस से पहले ही एक एस-400 सिस्टम मिल चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस सिस्टम को नवंबर 2021 में डिलीवर किया गया था। उसकी तैनाती चीन सीमा पर की गई है।
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