अमेरिका को राष्ट्रपति चुनाव के दौरान साइबर हमले का खतरा, एफबीआइ ने जारी किए दिशानिर्देश
नेटवर्क से छेड़छाड़ कर मतों में बदलाव कर देना ज्यादा मुश्किल नहीं है। चुनाव के दौरान इसी बात का सबसे ज्यादा खतरा रहेगा।
वाशिंगटन, एपी। अमेरिकी प्रशासन को नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर साइबर हमले का खतरा सता रहा है। यह साइबर हमला मतदान के समय प्रक्रिया को रोक सकता है। यह हमला किसी विदेशी सरकार की तरफ से न होकर सिरफिरे अपराधी के द्वारा भी हो सकता है। 2016 के चुनाव में रूस की ओर से ऐसी ही छेड़छाड़ किए जाने की चर्चा चली थी। अमेरिकी प्रशासन ने इसकी जांच भी कराई, लेकिन पर्याप्त सुबूतों के अभाव में यह जांच आगे नहीं बढ़ सकी थी।
साइबर अपराधी इन हमलों के जरिये कहीं के भी डाटा पर कब्जा कर उसे जाम कर देते हैं
दुनिया में जिस तरह से रैंसमवेयर अटैक (खास मकसद के लिए साइबर हमला) की घटनाएं बढ़ी हैं, उनसे देशों और उनकी सरकारों के लिए खतरे बढ़ गए हैं। साइबर अपराधी इन हमलों के जरिये कहीं के भी डाटा पर कब्जा कर उसे जाम कर देते हैं और इसके बाद फिरौती की मांग करते हैं। ऐसा कोई हमला अमेरिकी चुनाव के दौरान भी हो सकता है और मतदान को प्रभावित कर सकता है।
यह हमला चुनावी डाटाबेस में सेंधमारी कर उसमें गड़बड़ी कर सकता है
यह हमला सरकारी नेटवर्क में गड़बड़ी करने के साथ ही चुनावी डाटाबेस में सेंधमारी कर उसमें गड़बड़ी कर सकता है। इस तरह के हमले को मतदान के दौरान विफल भी कर दिया गया, फिर भी चुनाव प्रक्रिया को लेकर अविश्वास लोगों में मन में पैदा हो जाता है।
एफबीआइ और आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय ने ने बचाव के लिए जारी किए दिशानिर्देश
अमेरिका में चुनाव में इस तरह के हमलों की आशंका से जांच एजेंसी एफबीआइ और आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय ने प्रांतीय सरकारों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों में हमलों से बचाव के तरीके बताए गए हैं।
नेटवर्क से छेड़छाड़ कर मतों में बदलाव कर देना ज्यादा मुश्किल नहीं है: एडम हिक्की
न्याय विभाग के उप सहायक अटॉर्नी जनरल एडम हिक्की के अनुसार नेटवर्क से छेड़छाड़ कर मतों में बदलाव कर देना ज्यादा मुश्किल नहीं है। चुनाव के दौरान इसी बात का सबसे ज्यादा खतरा रहेगा।