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बाल झड़ने से जुड़े जीन से हो सकता है कैंसर का इलाज

वैज्ञानिकों ने पाया कि ऑटोइम्यून हेयर लॉस डिसआर्डर से जुड़े जीन से कैंसर इम्यूनोथेरेपी को बेहतर करने में मदद मिल सकती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 10:23 AM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 10:23 AM (IST)
बाल झड़ने से जुड़े जीन से हो सकता है कैंसर का इलाज
बाल झड़ने से जुड़े जीन से हो सकता है कैंसर का इलाज

न्यूयॉर्क [आइएएनएस]। वैज्ञानिकों को बाल झड़ने से जुड़े एक जीन में कैंसर के बेहतर इलाज की संभावना दिखी है। उन्होंने पाया कि ऑटोइम्यून हेयर लॉस डिसआर्डर से जुड़े जीन से कैंसर इम्यूनोथेरेपी को बेहतर करने में मदद मिल सकती है। इस उपचार में कैंसर से मुकाबले के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) का उपयोग किया जाता है।

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अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन से पता चला कि आइकेजेएफ1 नामक जीन एलोपेशिया एरियाटा में टी सेल्स की उत्पत्ति करने का काम करता है। एलोपेशिया एरियाटा एक ऐसी अवस्था है जिसमें इम्यून सेल्स हेयर सेल्स को नष्ट कर देती हैं। यह जीन कई प्रकार के कैंसर के दौरान ठप पड़ जाता है। इस जीन के निष्क्रिय होने से ट्यूमर सेल्स का प्रतिरक्षा प्रणाली से बचाव होता है। लेकिन आइकेजेएफ1 को सक्रिय करने से इम्यून सेल्स को कैंसर सेल्स पर धावा बोलने में मदद मिल सकती है।

जानिए क्या है कैंसर

जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति की कोशिकाओं में कई तरह के बदलाव आते हैं। पुरानी कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं और नई कोशिकाएं यानि सेल्स जन्म लेते हैं। हमारे शरीर में रेड और व्हाइट दो तरह के सेल्स होते हैं जो शरीर को सुचारू रूप से चलाने का काम करते है। मगर कैंसर होने की स्थिति में यह सेल्स जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगते हैं। इससे ही शरीर में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी जन्म लेती है।

कैंसर के प्रकार

कैंसर भी कई तरह के होते हैं जैसे त्वचा का कैंसर, ब्लड कैंसर, हड्डियों का कैंसर, ब्रेन कैंसर, स्तन कैंसर, फेफड़ों, गले, मुंह का कैंसर, पैनक्रियाटिक कैंसर इत्यादि।

कैंसर के मुख्य कारण

तंबाकू: पुरुषों में करीब 60 फीसद मामले मुंह और गले के कैंसर के होते हैं। इन दोनों के बाद सबसे ज्यादा फेफड़ों का कैंसर पाया जाता है। इन तीनों कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू है। कैंसर के कुल 40 फीसद मामले तंबाकू की वजह से होते हैं, फिर चाहे पीनेवाला तंबाकू (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का आदि) हो या फिर खाने वाला (गुटखा, पान मसाला आदि)। अगर आप खुद बीड़ी-सिगरेट नहीं पीते, लेकिन आपके आसपास कोई पीता है तो भी आपको उसके धुएं से खतरा है। स्मोकिंग से फेफड़े, गले, प्रोस्टेट, किडनी, ब्रेस्ट और सर्विक्स कैंसर के आसार बढ़ जाते हैं।

संक्रमण: हेपटाइटिस बी, हेपटाइटिस सी, एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) जैसे इन्फेक्शन कैंसर की वजह बन सकते हैं। हेपटाइटिस सी के इन्फेक्शन से लिवर का कैंसर और एचपीवी से महिलाओं में सर्वाइकल और पुरुषों में मुंह का कैंसर हो सकता है। ये दोनों वायरस असुरक्षित यौन संबंधों से फैलते हैं। 


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