किम से वार्ता भले ही कैसी रही हो लेकिन उत्तर कोरिया को नहीं मिलने वाली है कोई छूट
किम जोंग उन से अहम शिखर वार्ता को अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ सिंगापुर पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो का कहना है कि इस बार अमेरिका पहले की तरह बेवकूफ नहीं बनेगा।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। किम जोंग उन से अहम शिखर वार्ता को अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ सिंगापुर पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो का कहना है कि इस बार अमेरिका पहले की तरह बेवकूफ नहीं बनेगा। उन्होंने यह बयान पूर्व में उत्तर कोरिया से हुई संधियों को लेकर दिया है। माइक ने इस शिखर वार्ता से पूर्व कहा कि वह इस बार उत्तर कोरिया से वार्ता के दौरान पहले की तरह कोई गलती नहीं करेंगे। उन्होंने सोमवार को कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि उत्तर ने हमेशा अमेरिका को संधि की आड़ में पागल बनाया है, लेकिन ऐसा अब नहीं होने वाला है। उन्होंने यह बात पत्रकारों को शिखरवार्ता की जानकारी देने के दौरान कही है। उनका कहना था कि दोनों तरफ से बैठक को लेकर चीजों को अंतिम रूप दे दिया गया है। माइक का कहना है कि इस वार्ता में दो लोग बेहद अहम हैं और वे दोनों ही कल वार्ता के लिए कमरे में होंगे।
मजबूत संधि की कोशिश
माइक यहीं पर नहीं रुके उन्होंने कहा कि पहले कई अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने उत्तर कोरिया से संधि की लेकिन यह केवल कागजों तक ही सीमित रही। इन संधियों का उत्तर कोरिया ने कभी पालन नहीं किया। इसलिए मौजूदा राष्ट्रपति पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए ऐसी अहम संधि करना चाहते हैं जिससे उत्तर कोरिया अलग न हो सके। माइक का कहना था कि राष्ट्रपति ट्रंप का मकसद उत्तर कोरिया को बिना धमकाए एक मसौदा तैयार करना है, जिसपर दोनों राजी हो सकें। माइक के मुताबिक इस अहम शिखर वार्ता से पहले ट्रंप ने अपने समर्थक देशों से भी वार्ता की है। इस बाबत उन्होंने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे समेत जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे से भी बात कर समर्थन मांगा है। इस मुद्दे पर ट्रंप लगातार दोनों देशों से जुड़े हुए हैं।
सिंगापुर आने का न्योता स्वीकारा
आपको बता दें कि ट्रंप ने किम से पूर्व सिंगापुर के प्रधानमंत्री से अहम वार्ता की है। इस वार्ता के दौरान उन्होंने दोबारा नवंबर में सिंगापुर आने का न्योता भी स्वीकार कर लिया। इस दौरान उन्होंने सिंगापुर को इस शिखर वार्ता को कराने और बेहतर आव-भगत के लिए धन्यवाद भी दिया है। ट्रंप का भी कहना है कि मंगलवार को किम जोंग उन से होने वाली वार्ता बेहद अहम है। यह न सिर्फ अमेरिका के लिहाज से काफी अहम है बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी काफी अहम है। उनका कहना था कि वह फिलहाल सिर्फ इस वार्ता पर ही केंद्रित हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि सब कुछ अच्छा होगा।
क्या होगा दोनों का रिएक्शन
गौरतलब है कि किम-ट्रंप वार्ता सेंटोसा द्वीप के कैपेला रेसॉर्ट में होनी है। इसको लेकर यहां पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं। दोनों पक्षों के अधिकारी और वरिष्ठ सहयोगी यहां पहुंच चुके हैं। इसके अलावा इस शिखरवार्ता को कवर करने के लिए भी पूरी मीडिया का यहां पर जमावड़ा है। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात सुबह नौ बजे होनी है। यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि आखिर दो घुर विरोधी नेता जब आमने-सामने होंगे तो उनका रिएक्शन क्या होगा।
वार्ता में इन मुद्दों पर होगा जोर
इस बैठक में एक ओर जहां अमेरिका का पूरा जोर उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार और परमाणु साइट को खत्म करने पर होगा वहीं किम का पूरा जोर अपनी सत्ता को सुरक्षित करने के साथ साथ प्रतिबंधों को हटाने पर होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ इस वार्ता में अमेरिका के एनएसए जॉन बोल्टन और व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ जॉन कैली अहम भूमिका में होंगे तो दूसरी ओर किम की बहन अहम भूमिका में रहेंगी। लेकिन आमने सामने की वार्ता में किम ट्रंप के अलावा केवल उनकी भाषा समझाने वाले ट्रांसलेटर ही होंगे। दोनों के बीच यह वार्ता बेहद गोपनीय और बंद कमरे में होगी। माइक की मानें तो यह बैठक एक से दो घंटे चल सकती है।
नहीं मिलेगी कोई रियायत
माइक यह भी साफ कर चुके हैं कि जब तक किम की तरफ से बैलेस्टिक मिसाइलों को खत्म करने के लिए मजबूत कदम नहीं बढ़ाएंगे तब तक उन्हें किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी। उनके मुताबिक ट्रंप ये भी साफ कर चुके हैं कि जब तक उन्हें किम की मंशा और उठाए कदमों पर विश्वास नहीं हो जाता है तब तक उत्तर कोरिया को किसी भी तरह की वित्तीय मदद या प्रतिबंधों में ढील भी नहीं दी जाएगी। लिहाजा वार्ता के तुरंत बाद उत्तर कोरिया पर लगे सभी प्रतिबंध पहले की ही तरह बरकरार रहेंगे। यदि वार्ता के बाद उत्तर कोरिया ने संधि की शर्तों को नहीं माना तो यह प्रतिबंध और कड़े कर दिए जाएंगे।
ट्रंप ने खोले कुछ खास राज
ट्रंप का यह भी कहना है कि वह वार्ता के शुरुआती दौर में ही समझ जाएंगे कि किम किस तरफ जा रहे हैं। उन्होंने इस वार्ता से जुड़े कुछ अहम बाते भी कही हैं। उनका कहना है कि वह पहले किम से प्राइवेट मीटिंग को लेकर मान रहे थे कि इसमें काफी रिस्क हो सकता है। लेकिन बाद में जिस तरह से चीजें सामने आती गईं उससे राह काफी आसान हो गई। इससे पहले वह मान रहे थे कि एक बैठक में किम को लेकर क्या अंदाजा लगाया जा सकता है।