Move to Jagran APP

जीन की मदद से खुल सकता है मानव विकास का राज, शोधकर्ताओं ने किया खुलासा

शोधकर्ताओं ने नई कम्प्यूटेशनल विधि के जरिये कई अलग-अलग प्रजातियों में प्रत्येक टीएफएस बाइंड्स के मोटिफ क्रम का सटीक पता लगाने का किया दावा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 11:03 AM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 11:03 AM (IST)
जीन की मदद से खुल सकता है मानव विकास का राज, शोधकर्ताओं ने किया खुलासा
जीन की मदद से खुल सकता है मानव विकास का राज, शोधकर्ताओं ने किया खुलासा

टोरंटो, प्रेट्र। किसी भी जीव के अंगों के विकास के लिए माना जाता है कि जीन की एक समान भूमिका होती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारे शरीर में ऐसे जीन भी मौजूद हैं जिनसे हमारे विकास के क्रम को समक्षा जा सकता है। इनमें मौजूद विशिष्ट गुणों से यह समझा जा सकता है कि आखिरकार मनुष्य का विकास किस तरह से हुआ होगा।

loksabha election banner

कनाडा की टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक शरीर में प्रोटीन वर्ग के जीन कोड ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर (टीएफएस) के रूप में जाने जाते हैं। टीएफएस जीन की गतिविधियों पर नियंत्रण रखता है। यह डीएनए कोड (मोटिफ) का पता लगाकर जीन को नियत स्थान भेजने का काम भी करते हैं।

पिछले शोध ने सुझाव दिया गया था कि अलग-अलग जीवों में समान दिखने वाले टीएफएस भी एकजैसे ही होते हैं, फिर चाहे वह जीव मनुष्य हो या कोई उड़ने वाला पक्षी। हालांकि, यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो की लैब के प्रोफेसर टिमोथी हूघी कहते हैं कि सभी मामलों में ऐसा नहीं होता। शोधकर्ताओं ने नई कम्प्यूटेशनल विधि के जरिये कई अलग-अलग प्रजातियों में प्रत्येक टीएफएस बाइंड्स के मोटिफ क्रम का सटीक पता लगाने का दावा किया है।

नेचर जेनेटिक्स नामक पत्रिका में छपे अध्ययन में बताया गया है कि पुरानी मान्यताओं के मुकाबले कुछ उप-वर्गों के टीएफएस ज्यादा क्रियाशील भी रहते हैं। यूनिवर्सिर्टी ऑफ कैंब्रिज के सैम लैंबर्ट ने कहा कि निकट संबंधी प्रजातियों के बीच टीएफएस का एक हिस्सा नगण्य-सा रहता है, जो नए अनुक्रम को बांधे रखता है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि उनके पास ऐसा फंक्शन है, जो अलग-अलग जीन का क्रियान्वयन करता है। हर दूसरे जीव के लिए हो सकता है इसकी महत्ता भिन्न हो। यहां तक कि चिपांजी और मनुष्यों के बीच भी, जिनके जीनोम 99 प्रतिशत समान पाए जाते हैं। दर्जनों टीएफएस हैं जो दो प्रजातियों के बीच अलगअलग रुप में मौजूद रहते हैं और उनके जीनों को प्रभावित करते हैं।

लैबर्ट ने कहा, ‘मनुष्य और चिंपाजी में पाए जाने वाले मालीक्यूलर विविधताओं के कारण दोनों का काम अलग-अलग होता है।’ मोटिफ के अनुक्रमों का दोबारा विश्लेषण करने के लिए लैंबर्ट ने नए सॉफ्टवेयर का विकास किया, जो जीन में मौजूद विशष्ट गुणों के माध्यम से मानव विकास के क्रम की कई जानकारियां हासिल करेगा।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.