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अमेरिका ने अफगान में लगातार बढ़ रहे तनाव पर जताई चिंता, कहा- वायु सेना पायलटों की तालिबान द्वारा हत्या 'चिंताजनक'

अमेरिका ने अपनी एक रिपोर्ट में अफगान वायु सेना पायलटों की तालिबान द्वारा हत्याओं को लेकर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में लगातार तनाव में वृद्धि हो रही है जो कि चिंता का प्रमुख कारण है।

By Amit KumarEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 10:03 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 10:03 PM (IST)
आतंकी एक अभियान के तहत अमेरिका द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त पायलटों को निशाना बनाकर उनकी हत्या कर रहे हैं।

वॉशिंगटन, रॉयटर्स: अमेरिका ने अपनी एक रिपोर्ट में अफगान वायु सेना के पायलटों की तालिबान द्वारा हत्या को लेकर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अफगानिस्तान में लगातार तनाव में वृद्धि हो रही है, जो कि चिंता का प्रमुख कारण है। अफगानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, बीते दिनों कम से कम 7 पायलटों को तालिबान ने मौत के घाट उतार दिया था। आतंकी एक अभियान के तहत अमेरिका द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त पायलटों को निशाना बनाकर उनकी हत्या कर रहे हैं।

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अफगान वायु सेना पर अतिरिक्त दबाव

अफगान पुनर्निर्माण के विशेष महानिरीक्षक (एसआईजीएआर) ने अपनी रिपोर्ट में कांग्रेस को बताया है कि, जून के बाद से अमेरिकी सेना की वापसी के कारण अफगान वायु सेना (एएएफ) पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि, वायू सेना के UH-60 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर जून में 39 प्रतिशत तक तैयार थे, जो की अप्रैल और मई के स्तर का लगभग आधा था। साथ ही उन्होंने बताया कि, सभी अफगान एयरफ्रेम अपने निर्धारित समय से कम से कम 25फीसदी ज्यादा उड़ रहे हैं। वायू सेना के विमानों पर बढ़ती मांग के चलते अतिरिक्त दबाव है। अफगानी सेना के पास अब बड़े पैमाने पर अमेरिकी हवाई समर्थन की कमी है। साथ ही, अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और संचालन की गति जो केवल बढ़ी है। इस कारण एयर क्रू को अधिक काम करना पड़ रहा है, जिससे तनाव और भी ज्यादा बढ़ रहा है।

विशेष बलों का हो रहा है दुरुपयोग

महानिरीक्षक ने रिपोर्ट में बताया कि, अफगान विशेष बलों के साथ, अफगान वायु सेना भी तालिबान को शहरों पर कब्जा करने से रोकने के लिए रणनीति का एक अहम हिस्सा है, लेकिन विशेष अभियान बलों का भी गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। ज्यादातर अफगान नेशनल आर्मी के सैनिक, कमांडो सपोर्ट के बिना मिशन को अंजाम देने से इनकार कर रहे हैं। नाटो के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि जब अफगान कमांडो आते हैं, तो उनका इस्तेमाल आमतौर पर किए जाने वाले कामों के लिए किया जाता है। जिसमें रूट क्लीयरेंस और चेकपॉइंट सुरक्षा आदी शामिल हैं।

अगस्त के अंत में समाप्त होगा अमेरिकी मिशन

गौरतलब है कि, अमेरिका 31 अगस्त तक अफगानिस्तान में अपने 20 सालों के सैन्य मिशन को औपचारिक रूप से समाप्त करने की तैयारी कर रहा है। वहीं, तालिबानी आतंकी लगातार अफगानिस्तान की जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं और राष्ट्रपति अशरफ गनी की अमेरिकी समर्थित सरकार के हाथ से नियंत्रण बाहर होता जा रहा है। जिसके चलते आशंका है कि, आतंकी जल्द ही राजधानी काबुल पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश भी कर सकते हैं।


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