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चीन को ट्रंप का करारा जवाब, ताइवान को 66 लड़ाकू विमान देगा अमेरिका, ड्रैगन को कड़ी चुनौती

चीन की नापाक हरकतों का अमेरिका ने करारा जवाब दिया है। अमेरिका चीन को टक्‍कर देने के लिए ताइवान को 66 लड़ाकू विमान देने जा रहा है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 09:34 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 04:10 AM (IST)
चीन को ट्रंप का करारा जवाब, ताइवान को 66 लड़ाकू विमान देगा अमेरिका, ड्रैगन को कड़ी चुनौती
चीन को ट्रंप का करारा जवाब, ताइवान को 66 लड़ाकू विमान देगा अमेरिका, ड्रैगन को कड़ी चुनौती

वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका ने अपनी एक चाल से चीन को करारा जवाब दिया है। अमेरिका ने अपनी लड़ाकू विमान निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन को अगले दस साल तक एफ-16 विमान का आधुनिक संस्करण बनाने का 62 अरब डॉलर (4.65 लाख करोड़ रुपये) का ठेका दिया है। माना जा रहा है कि बनने वाले ज्यादातर विमान ताइवान को दिए जाएंगे। चीन के खिलाफ ताइवान को मजबूत करने का यह अमेरिका का बड़ा कदम है। बताया जाता है कि एफ-16 वी लड़ाकू विमानों का निर्माण विदेशी आपूर्ति के तहत होगा।

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अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने लॉकहीड मार्टिन को 14 अगस्त दिए आदेश में किसी भी देश के नाम का उल्लेख नहीं किया है। लेकिन माना जा रहा है कि 2019 में ताइवान के साथ हुए लड़ाकू विमान खरीद के सौदे के लिए इन्हीं में से 66 विमान दिए जाएंगे। क्रय आदेश के अनुसार 31 दिसंबर, 2026 तक इन विमानों को तैयार करना है। यह बिक्री आज के मूल्य पर ही जारी रहेगी। 62 अरब डॉलर की धनराशि में 90 विमान तैयार होंगे, जिनमें से ताइवान को 66 विमानों की आपूर्ति होगी।

बाकी 24 विमान मोरक्को को दिए जा सकते हैं। अमेरिका से उसने भी इन विमानों की खरीद का समझौता किया है। ताइवान और चीन के बीच तनाव इस समय चरम पर है। हाल ही में अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स ऐजर ने ताइवान की यात्रा की है। बीते 40 साल में किसी अमेरिकी मंत्री की यह पहली ताइवान यात्रा है। इससे चीन और भड़क गया है। चीन दावा करता है कि ताइवान उसका हिस्सा है। इसलिए उससे किसी तरह का कूटनीतिक या सैन्य संबंध कोई अन्य देश नहीं रख सकता है।

दूसरी ओर ताइवान चीन के इस बेतुके दावे को नहीं मानता है। इस दावे को दम देने के लिए अमेरिका सुरक्षा मामलों में ताइवान का साथ देता है। हाल में पूर्वी लद्दाख में भारतीय सैनिकों पर चीन के सैनिकों के हमले के समय भी भारत का पक्ष लेने वाला ताइवान पहला देश था। बीते दिनों अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दौरान चीन के लड़ाकू विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसने की कोशिश की थी। इसके बाद ताइवान ने पलटवार किया तो ये विमान भाग निकले थे। यही नहीं ताइवान ने जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइलें दागीं और पैट्रोलिंग विमानों को पीछे लगा दिया।  


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