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मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर राणा जमानत के लिए कर रहा पैंतरेबाजी, 10 जून को किया गया था गिरफ्तार

मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर राणा के वकील ने उसकी रिहाई के लिए 15 लाख डॉलर (लगभग साढ़े 11 करोड़ रुपये) का बांड जमा करने की पेशकश की है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 06:48 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 06:49 PM (IST)
मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर राणा जमानत के लिए कर रहा पैंतरेबाजी, 10 जून को किया गया था गिरफ्तार
मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर राणा जमानत के लिए कर रहा पैंतरेबाजी, 10 जून को किया गया था गिरफ्तार

वाशिंगटन, एजेंसी। मुंबई हमले में शामिल पाकिस्तानी मूल का कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा जमानत के लिए तरह-तरह के पैंतरे अपना रहा है। उसके वकील ने अमेरिकी अदालत से कहा है कि अगर उसको जमानत मिलती है तो उसके विदेश भागने का खतरा ना के बराबर है। राणा के वकील ने उसकी रिहाई के लिए 15 लाख डॉलर (लगभग साढ़े 11 करोड़ रुपये) का बांड जमा करने की पेशकश की है।

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राणा (59) को कोरोना से संक्रमित पाए जाने के बाद हाल ही में जेल से रिहा किया गया था। हालांकि भारत की ओर से प्रत्यर्पण का अनुरोध किए जाने के बाद 10 जून को उसे लॉस एंजिलिस से फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। कैलिफोर्नियां केंद्रीय जिला अदालत की न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने बांड मामले पर सुनवाई 30 जून को निर्धारित की है।

राणा की तरफ से पेश वकील एमी कारलिन ने कहा, 'राणा को लगभग 15 लाख डॉलर के बांड पर रिहा किया जाना चाहिए। बांड लेते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस बांड के तहत दी गई संपत्ति पर उसके परिवार, दोस्तों या उसकी बेटी लीमान राणा का कब्जा हो।'

भारत ने कई अपराधों के सिलसिले में उसकी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था, जिसमें हत्या की साजिश रचने, धोखाझड़ी एवं हत्या के मकसद से जालसाजी की साजिश रचने जैसे अपराध शामिल हैं। वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में अपनी संलिप्तता के लिए वांछित है।

कारलिन ने कहा कि राणा के खिलाफ आपराधिक आरोप मुख्यत: उन आरोपों से मिलते-जुलते हैं, जिसके लिए उस पर पहले मुकदमा चलाया जा चुका है। इसमें राणा ने अपने बचपन के दोस्त और पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक लश्कर-ए-तोइबा के साथ साजिश रचकर मुंबई हमले को अंजाम दिया। इस हमले में छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की जान चली गई थी। कारलिन ने तर्क देते हुए कहा कि प्रत्यर्पण की कार्रवाई लंबित रहने तक वह जमानत पाने का का पात्र है।


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