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कोरोना से निपटने में स्वीडन ने ली अलग राह, संकट पर नहीं है गंभीर, बढ़ रहा संक्रमण का ग्राफ

कोरोना से निपटने के लिए स्‍वीडन ने अलग राह अपनाई है। यही कारण है कि स्वीडन में संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा है। पढ़ें न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की दिलचस्‍प रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 10:14 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 10:20 PM (IST)
कोरोना से निपटने में स्वीडन ने ली अलग राह, संकट पर नहीं है गंभीर, बढ़ रहा संक्रमण का ग्राफ
कोरोना से निपटने में स्वीडन ने ली अलग राह, संकट पर नहीं है गंभीर, बढ़ रहा संक्रमण का ग्राफ

स्टॉकहोम [न्यूयार्क टाइम्स]। कोरोना ने जब स्कैंडेवियाई देशों को अपने चपेट में लेना शुरू किया तो नॉर्वे और डेनमार्क ने उसके प्रकोप को थामने के लिए अपनी सीमाओं पर पाबंदियां लगाईं। लेकिन स्वीडन ने अलग ही राह पकड़ी। डेनमार्क और नॉर्वे ने अपनी सीमाएं सील कीं, रेस्तरां और स्की स्लोप्स बंद किए तथा सभी छात्रों को इस महीने घरों में ही रहने को कहा। वहीं स्वीडन ने सिर्फ हाई स्कूल और कॉलेजों को बंद किया। वहीं प्री-स्कूल, ग्रेड स्कूल, पब, रेस्तरां तथा सीमाओं को खुला रखा।

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क्या महामारी से खिलवाड़ कर रहा है स्वीडन

दरअसल, स्वीडन ने कारोबार के लिए सब कुछ खुला रखा, जबकि अन्य देशों ने कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए विभिन्न तरीकों से कई कदम उठाए। इस प्रकार से स्वीडन के तौर-तरीकों से यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या वह इस लाइलाज महामारी से खिलवाड़ कर रहा है? या, दुनिया भर में लॉकडाउन और लाखों रोजगारों को चौपट करने का कारण बने कोविड-19 संकट से निपटने में लचर नीति अपना रहा है? इस मामले में डेनमार्क के एक अखबार 'पोलिटिकन' ने भी सवाल उठाया है कि क्या स्वीडन कोरोना संकट को गंभीरता से नहीं ले रहा है?

सीमित उपायों पर जोर

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम के कैफे में अलग ही नजारा दिखता है। लोग सामान्य तौर पर दो या ज्यादा की संख्या में एकसाथ दिख जाएंगे। मैदान, रेस्तरां, जिम, मॉल्स तथा स्की स्लोप्स- सभी चल रहे हैं। हां, इतना जरूर कि लोगों की संख्या कुछ कम दिखती है।

यह है स्वीडन की सोच

देश के महामारी विशेषज्ञ एंडर टेंगनेल के मुताबिक, स्वीडन का तरीका लोगों से आत्म संयम की अपील तथा जिम्मेदारी का एहसास कराने वाला है। हम इसी प्रकार से काम करते हैं। संक्रामक रोग पर काबू करने का हमारा पूरा सिस्टम स्वैच्छिक है। टीकाकरण सिस्टम भी पूरी तरह से स्वैच्छिक है फिर भी इसका कवरेज 98 फीसद है।

इसलिए अपनाई यह रणनीति

स्वीडन की मौजूदा रणनीति के पीछे के कारकों को विशेषज्ञ कुछ इस प्रकार से स्पष्ट करते हैं। इतिहासकार लार्स ट्रैगार्ध के मुताबिक, देश में विश्‍वास का स्तर उच्च है। संविधान के सख्त प्रावधान सरकार को जन स्वास्थ्य एजेंसी जैसे प्रशासनिक प्राधिकारियों के मामले में पड़ने से रोकते हैं। ऐसे में आपको व्यापक स्तर पर सूक्ष्म प्रबंधन या लोगों के व्यवहार नियंत्रित करने की आवश्यकता नहीं है कि पाबंदियां लगाएं या सजा- जुर्माना करें। इन्हीं कारणों से स्वीडन - डेनमार्क और नॉर्वे से अलग हैं। वह बताते हैं कि स्वीडिश लोगों का भरोसा अन्य तरीकों से समझा जा सकता है। यहां लोगों और सरकारी प्रतिष्ठानों तथा एजेंसियों का भरोसा सिर्फ एक-दूसरे के प्रति नहीं है बल्कि नागरिकों में भी उच्च स्तर का सामाजिक विश्‍वास है। कोरोना से लड़ने में भी स्वीडन की एप्रोच भी इसी का सबूत है।

प्रतिबंध नहीं लगाने का तर्क

टेंगनेल का यह भी कहना है कि प्रतिबंध लगाने से काम नहीं होता, क्योंकि लोग नियम से इतर रास्ता खोज लेते हैं। इसके साथ ही वह यह भी नहीं मानते हैं कि स्वीडन पड़ोस की रणनीति नहीं समझता है और मनमानी कर रहा है। वह कहते हैं, 'जब दुनिया के लगभग सभी देशों में यह महामारी फैल चुकी है, ऐसे में सीमाओं को बंद करने का कोई मतलब नहीं है।' 

समर्थन में लोग

स्वेन्सका डगब्लाडेट अखबार ने मंगलवार को प्रकाशित एक सर्वे में बताया है कि 52 फीसद स्वीडिश वायरस की रोकथाम के लिए किए गए उपायों का समर्थन करते हैं। लेकिन 14 फीसद लोग मानते हैं कि अर्थव्यवस्था के फायदे के लिए जन स्वास्थ्य पर बहुत कम ध्यान दिया गया।

जोखिम में जान

पिछले हफ्ते कोविड-19 के बहुत सारे केस स्वीडिश अल्पलाइन सेंटर के एक स्की पार्टी से ट्रेस हुए थे। इसके बाद अधिकारियों ने एरियल ट्राम, ट्रक, बार तथा नाइट क्लब बंद कर दिए थे। स्कैंडेनेविया में कोविड-19 के सैकड़ों केस इटली में स्की ट्रिप्स की छुट्टियां बिताकर लौटे लोगों से सामने आए हैं। अब सोशल मीडिया में स्की स्लोप्स को बंद करने की बात की जा रही है।

बढ़ रही संक्रमितों की संख्या

इन सब के बीच, स्वीडन में संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा है और सरकार ने भी सक्रियता दिखाते हुए लोगों के जमावड़े को 50 तक सीमित कर दिया। सरकार के एप्रोच पर लोगों की अलग-अलग राय सामने आ रही है। छह बच्चों की मां हॉटेलियर एलिजाबेथ हैटलेम इस बात के लिए सरकार के प्रति आभार जताती हैं कि वह अपना व्यवसाय कर पा रही हैं लेकिन महामारी के डर से वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहती हैं।

स्वीडन की राह पर नीदरलैंड

दूसरी ओर, नीदरलैंड में अब तक 13,614 मामले रिपोर्ट हो चुके हैं और 1173 लोगों की मौत हो गई। लेकिन वह भी स्वीडन जैसा ही रवैया अपना रहा है। 16 मार्च को प्रधानमंत्री मार्क रूट्टे ने कहा कि 1.71 करोड़ की आबादी वाला उनका देश गंभीर रूप से बीमार पड़ने के कम जोखिम वाले समूह में 'नियंत्रित प्रसार' के विकल्प पर चल रहा है। उन्होंने दलील दी कि देश को 'पूरी तरह' से बंद करने में बहुत देर हो चुकी है। 


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