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बीमारियों का पता लगाकर इलाज में मदद करेगा चीनी से चलने वाला सेंसर

चीनी से ऊर्जा प्राप्त करने वाला यह सेंसर शरीर के जैविक संकेतों की निगरानी करता है, जिसके जरिये वे बीमारियों का पता लगा पाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 10:07 AM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 10:07 AM (IST)
बीमारियों का पता लगाकर इलाज में मदद करेगा चीनी से चलने वाला सेंसर
बीमारियों का पता लगाकर इलाज में मदद करेगा चीनी से चलने वाला सेंसर

वाशिंगटन [प्रेट्र]। भारतीय मूल के वैज्ञानिक के नेतृत्व में एक दल ने ऐसा इंप्लांटेबल सेंसर विकसित किया है, जो बीमारियों का पता लगाकर उसे रोकने और इलाज करने में मददगार साबित हो सकता है। चीनी से ऊर्जा प्राप्त करने वाला यह सेंसर शरीर के जैविक संकेतों की निगरानी करता है, जिसके जरिये वे बीमारियों का पता लगा पाता है।

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अमेरिका में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर सुभांशु गुप्ता और उनकी टीम द्वारा तैयार किया गया यह सेंसर जैव ईंधन कोशिका और रक्त में मौजूद ग्लूकोज की मदद से काम करता है। आइईईई ट्रांजेक्शन ऑफ सर्किट्स एंड सिस्टम्स नामक जर्नल में इस आविष्कार के बारे में विस्तार से प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि यह सेंसर इलेक्ट्रॉनिक्स और जैव ईंधन कोशिका का अद्वितीय एकीकरण है, जिसमें उच्च संवेदनशीलता वाले शारीरिक और जैव रासायनिक संकेतों का पता लगाया जाता है।

वर्तमान में ये हैं विकल्प

शोधकर्ताओं के मुताबिक, बीमारियों का पता लगाने के लिए वर्तमान में मौजूद ज्यादातर लोकप्रिय सेंसर घड़ियों के रूप में हैं, जिन्हें चलाने के लिए बार- बार चार्ज करने की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा त्वचा पर पहने जा सकने वाले पैच जैसे सेंसर एंबेडेड नहीं हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यही वजह थी कि उन्होंने ऐसा सेंसर विकसित करने की सोची जिसे बार-बार चार्ज करने की जरूरत न पड़े।

नहीं लेना पड़ेगा ब्लड

शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके अलावा इस सेंसर की मदद से डायबिटीज के मरीजों की जांच के लिए ब्लड लेने के लिए उनकी अंगुली पर सुई चुभाने की भी जरूरत नहीं होगी। यह उसके बिना ही व्यक्ति की डायबिटीज का पता लगा सकेगा।

मानव शरीर में बहुत ईंधन

सुभांशु कहते हैं, रक्त में मौजूद ग्लूकोज के रूप में मानव शरीर में बहुत सारा ईंधन मौजूद है। हमने उसी का प्रयोग कर इस सेंसर को ऊर्जा देने का तरीका तलाश किया है। जैव ईंधन कोशिका का उपयोग करने से इसे बार-बार चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यही वजह है कि यह सेंसर बैटरी से चलने वाले परंपरागत सेंसरों से अलग है।

ज्यादा सुरक्षित और स्थिर

वर्तमान में लीथियम आयन बैटरी से चलने वाले सेंसरों की तुलना में जैव ईंधन कोशिका का प्रयोग करना अधिक सुरक्षित है क्योंकि यह पूरी तरह से गैर विषैला है। साथ ही यह ऊर्जा का अधिक स्थिर साधन है। इससे इस सेंसर को अनिश्चितकाल के लिए संचालित किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने इस सेंसर को किफायती बनाने का प्रयास किया है, ताकि इसका हर कोई आसानी से इस्तेमाल कर सके। 


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