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आसान नहीं है मंगल पर जीवन की तलाश, लाल ग्रह की सतह पर मौजूद जैविक सुबूतों के नष्ट होने का अंदेशा

Life on Mars शोधकर्ताओं ने लाल ग्रह की सतह पर मौजूद जैविक सुबूतों के नष्ट होने का जताया अंदेशा कहा- पड़ोसी ग्रह पर अम्लीय पदार्थो के बहने से हो सकता है नुकसान।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 09:26 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 09:26 AM (IST)
आसान नहीं है मंगल पर जीवन की तलाश, लाल ग्रह की सतह पर मौजूद जैविक सुबूतों के नष्ट होने का अंदेशा

वाशिंगटन, एएनआइ। Life on Mars मंगल पर जीवन की संभावनाओं की तलाश करने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा बीते जुलाई महीने में अपना मिशन लांच कर चुकी है। इस मिशन के तहत नासा का रोवर लाल ग्रह (मंगल) की जानकारियां जुटाने के साथ-साथ उसकी सतह से पत्थर और मिट्टी को धरती पर लेकर आएगा और उसके बाद विज्ञानी मंगल के कई रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं। लेकिन यह इतना आसान नहीं है।

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एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि मंगल की सतह और उसके नीचे मौजूद जैविक सुबूत तरल अम्लीय पदार्थो (एसिडिक फ्ल्यूड) से नष्ट हो सकते हैं। ये अम्लीय पदार्थ एक बार मंगल की सतह पर बह चुके हैं। ऐसे में लाल ग्रह की लौह तत्वों से समृद्ध इस भूमि में जीवन की तलाश आसान नहीं है। क्योंकि अम्लीय पदार्थ जैविक तत्त्वों को जल्दी नष्ट कर देते हैं।

अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और स्पेन के सेंट्रो डी एस्ट्रोबायोलॉजिया के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष सिमुलेशन के जरिये मिट्टी में अमीनो एसिड को मिलाने के बाद निकाला है। नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित हुए इस शोध पत्र में कहा गया है कि लाल ग्रह की मिट्टी में अमीनो एसिड मिलाने से उसमें मौजूद बायोलॉजिकल मैटेरियल (जैविक सामग्री) नष्ट हो जाता है।

2030 तक लौटेगा नासा का रोवर : कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में खगोल विज्ञान विभाग के विज्ञानी और इस अध्ययन के लेखक अल्बटरे जी. फेयरन ने कहा कि नासा का रोवर अगले वर्ष फरवरी में मंगल के जेजेरो क्रेटर पर उतरेगा और वर्ष 2030 तक अपना काम पूरा कर लौटेगा। अब देखने वाली बात यह है कि वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति पर कितना सफल रहता है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का रोजलिंड फ्रैंकलिन रोवर भी 2022 के अंत तक लांच हो सकता है। यह रोवर मंगल की सतह की खोदाई कर मिट्टी के नमूने एकत्र करेगा और उसका वहीं विश्लेषण भी करेगा।

इसलिए नहीं पहुंचती ज्यादा हानि : शोधकर्ताओं ने कहा कि यह देखना दिलचस्प होगा कि यदि मंगल की सतह के नीचे भारी मात्र में जैविक सामग्री मौजूद है तो वह अम्लीय पदार्थो के वार से कैस बची होगी। फेयरन ने कहा, ‘ हम यह तो जानते हैं कि लाल ग्रह की सतह पर पूर्व में कई बार अम्लीय पदार्थ बह चुका है। लेकिन इसकी सतह की मिट्टी में बाहरी पदार्थो से लड़ने की क्षमता जबरदस्त है, जिसके कारण सतह के नीचे मौजूद जैविक सामग्री बच जाती है। लेकिन सतह के ऊपर जैविक तत्वों का मिलना बहुत मुश्किल है।’


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