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पिछले अनुभवों से खुद ही सीखेंगी कारें, विपरीत परिस्थितियों में होगा मददगार

शोधकर्ताओं ने दो ड्राइवरलेस कारों निकी और शेली के माध्यम से रेसट्रैक पर इस तकनीक का परीक्षण भी किया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 09:52 AM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 09:52 AM (IST)
पिछले अनुभवों से खुद ही सीखेंगी कारें, विपरीत परिस्थितियों में होगा मददगार
पिछले अनुभवों से खुद ही सीखेंगी कारें, विपरीत परिस्थितियों में होगा मददगार

बोस्टन, प्रेट्र। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक तैयार की है जिसके माध्यम से ड्राइवरलेस कारें अपने प्रत्येक पिछले अनुभवों से सीख हासिल करेंगी। जिसके माध्यम से यह अनजानी और बहुत विपरीत परिस्थितियों में भी सुरक्षित सफर मुहैया कराएंगी। शोधकर्ताओं ने दो ड्राइवरलेस कारों निकी और शेली के माध्यम से रेसट्रैक पर इस तकनीक का परीक्षण भी किया है।

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अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र नाथन स्पीलबर्ग ने बताया कि नई तकनीक ड्राइवरलेस कारों में सुरक्षा के स्तर को बढ़ाएगी। ड्राइवरलेस कारें विभिन्न परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन करेंगी। वह नार्मल ड्राइविंग से लेकर उच्च घर्षण वाले डामर रोड पर और कम घर्षण वाले बर्फीली सड़क पर भी अच्छी तरह से कंट्रोल में चलेंगी। उनका कहना है कि वह अफनी एल्गोरिद्म को किसी कुशल चालक से भी बेहतर बनाना चाहते हैं। अभी की ड्राइवरलेस कारें आसपास की पल-पल की जानकारी हासिल करती हैं। लेकिन, उनके पास पुराना कोई अनुभव नहीं होता है। सड़कों पर कई बार स्थितियां दोहराती हैं। ऐसे में पुराने अनुभव बहुत काम आते हैं।

इस तरह चलती हैं स्वचालित कारें 

ड्राइवरलेस कारों को चलने के लिए सबसे पहली जानकारी जो चाहिए होती है वह है टायर और रोड का घर्षण कितना है। इस जानकारी के बाद यह तय होता है कि विभिन्न परिस्थितियों में ब्रेक कितनी तेज लगाना है और कितना एक्सीलरेटर लेना है। अगर कार बर्फीली जगहों पर चले जहां पर पल-पल स्थितियां बदलती हैं तो यह मुश्किल हो जाता है।

न्यूरल नेटवर्क बनाया

वैज्ञानिकों ने बताया कि अधिक नियंत्रण वाली प्रणाली विकसित करने के लिए उन्होंने एक एआइ कंप्यूटिंग सिस्टम की तरह का न्यूरल नेटवर्क सिस्टम बनाया, जो पिछले अनुभवों के डाटा को इकट्ठा करता है। साथ ही इसमें भौतिकी से जुड़े कई सिद्धांत भी समाहित हैं। स्टैनफोर्ड के एक प्रोफेसर जे क्रिश्चियन गेरिड्स ने बताया कि अभी तक उपलब्ध तकनीकों में ऐसी सुविधा नहीं पाई गई है।

किया गया परीक्षण

वैज्ञानिकों ने अपनी नई तकनीक का परीक्षण दो ड्राइवरलेस कारों नकी और शेली पर किया। उन्होंने निकी को नए न्यूरल नेटवर्क से लैस किया तो शेली को पुरानी तकनीक पर ही रखा। पहले परीक्षण में शेली और निकी दोनों ने ही लगभग सामान प्रदर्शन किया। लेकिन, न्यूरल नेटवर्क सिस्टम की वजह से निकी ने पिछले अनुभवों से जानकारी हासिल की और अगली बार परीक्षण में शेली से बेहतर प्रदर्शन किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह परिणाम उनके लिए बहुत ही उत्साहजनक थे। लेकिन, उन्होंने चेतावनी दी कि न्यूरल नेटवर्क सिस्टम उन हालातों पर पहली बार अच्छा परफार्म नहीं करेगा जहां का उसने पहले कभी अनुभव न किया हो।


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