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जानिए कैसे गठिया में कारगर साबित हो सकता है बिच्छू का जहर

जानवरों पर किए गए अध्ययन में इस दवा ने आर्थराइटिस की तीव्रता को कम किया, जिससे शोधकर्ताओं में उम्मीद जगी है कि ये इंसानों पर भी कारगर साबित हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 01 Mar 2018 11:43 AM (IST)Updated: Thu, 01 Mar 2018 11:46 AM (IST)
जानिए कैसे गठिया में कारगर साबित हो सकता है बिच्छू का जहर
जानिए कैसे गठिया में कारगर साबित हो सकता है बिच्छू का जहर

ह्यूस्टन (प्रेट्र)। एक अध्ययन में सामने आया है कि रूमेटॉयड आर्थराइटिस (गठिया का गंभीर प्रकार) में बिच्छू के जहर से बनी दवा कारगर साबित हो सकती है। इसके इस्तेमाल से मरीजों को राहत मिल सकती है। जानवरों पर किए गए अध्ययन में इस दवा ने आर्थराइटिस की तीव्रता को कम किया, जिससे शोधकर्ताओं में उम्मीद जगी है कि ये इंसानों पर भी कारगर साबित हो सकता है।

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अमेरिका स्थित टेक्सास स्थित बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कहा है कि जानवरों पर हुए अध्ययन में देखा गया कि बिच्छू के जहर में मौजूद सैकड़ों तत्वों में से एक तत्व ब्यूथस टेम्यूलस आर्थराइटिस के मरीजों के इलाज में कारगर हो सकता है।

रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधी बीमारी है, जिसमें अपना प्रतिरक्षा तंत्र खुद के शरीर पर ही हमला करने लगता है। इससे मरीज के जोड़ बुरी तरह प्रभावित होते हैं।

अमेरिका स्थित बैलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टीन बीटन के मुताबिक, फाइब्रोब्लास्ट लाइक साइनोवियोसाइट्स (एफएलएस) कोशिकाएं इस बीमारी में अहम रोल अदा करती हैं। यह एक जोड़ से दूसरे जो में घूमती हैं और विकसित होती हैं।

इस क्रम में वे कुछ खास तरह के उत्पाद का स्नाव करती हैं, जो जोड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और प्रतिरक्षा कोशिकाओं को आकर्षित करते हैं जिससे जलन व सूजन होती है। जैसे-जैसे जोड़ों में नुकसान बढ़ता है, उनमें सूजन बढ़ती जाती है और उन्हें हिलाना संभव नहीं रह जाता है। वर्तमान में मौजूद इलाज इस बीमारी के लिए जिम्मेदार प्रतिरक्षा कोशिकाओं को निशाना बनाते हैं।

इनमें से कोई भी एफएलएस का इलाज नहीं करता है। बीटन ने कहा कि बिच्छू के जहर में मौजूद ब्यूथस टेम्यूलस तत्व एफएचएस पर हमला करता है।

यह शोध जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी एंड एक्सपेरिमेंटल थेरेप्टिक्स में प्रकाशित हो चुका है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अभी इस पर और जांच की जा रही है। संभव है कि निकट भविष्य में इस दवा को इलाज के लिए उपलब्ध कराया जा सके। 


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