वेनेजुएला बना महाशक्तियों का रणक्षेत्र: जानें- US के किस प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद में रूस-चीन का वीटो
वेनेजुएला पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस और चीन के वीटो के बाद अब यह जंग दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। हालांकि रूस और चीन के वीटो के बाद अमेरिका अपने स्टैंड पर कायम है।
वेनेजुएला [ एजेंसी ]। वेनेजुएला मामले में अमेरिका और रूस के बीच छिड़ा वाकयुद्ध अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। वेनेजुएला की मौजूदा राजनीतिक हालात पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस और चीन के वीटो के बाद अब यह जंग दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। हालांकि, रूस और चीन के वीटो के बाद अमेरिका अपने स्टैंड पर कायम है। अमेरिका किसी भी हाल में वेनेजुएला में राजनीतिक स्थिरता और शांति के लिए राष्ट्रपति चुनाव को जरूरी बता रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वेनेजुएला में ऊंट किस करवट बैठता है। बहरहाल, वेनेजुएला में महाशक्तियों के बीच शुरू हुई रार अब खुलकर सामने आ गई है।
प्रस्ताव पर रूस और चीन साथ-साथ
खास बात यह है कि वेनेजुएला में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अमेरिका और रूस की लड़ाई में अब चीन भी खुलकर सामने आ गया है। सुरक्षा परिषद में उसने रूस के पक्ष में वोट दिया है। बता दें कि वेनेजुएला में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अमेरिका और रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को परस्पर विरोधी प्रस्ताव सौंपे हैं।
एक ओर वेनेजुएला में शांति और राजनीतिक स्थिरता के लिए अमेरिका ने यहां राष्ट्रपति चुनाव की जोरदार वकालत की है। वहीं दूसरी ओर रूस और चीन दोनों वेनेजुएला में नए राष्ट्रपति चुनाव का विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका ने वेनेजुएला की विपक्ष के नेता को देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति जुआन गुएडो के रूप में मान्यता दी है, जबकि रूस और चीन निवर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मदुरो को समर्थन दे रहे हैं।
Russia, China veto US push for fresh election in Venezuela
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— ANI Digital (@ani_digital) March 1, 2019
सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों की ओर से सुरक्षा परिषद को सौंपे गए प्रस्तावों को संगठन के 15 सदस्यों के बीच प्रसारित किया गया है। अमेरिका ने अपने प्रस्ताव में वेनेजुएला में शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया की शुरू करने की मांग की है ताकि देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और राष्ट्रपति चुनाव विश्वसनीय तरीके से कराए जा सकें। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से इस दिशा में कार्य करने का आग्रह किया गया है।
मादुरा और गुएडो को लेकर महाशक्तियों में मतभेद
मई 2018 में वेनेजुएला में हुए राष्ट्रपति चुनाव में गुएडो ने धांधली का आरोप लगाते हुए अपने को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था। इसके बाद से वेनेजुएला में सत्ता के लिए राजनीतिक संघर्ष जारी है। इस राजनीतिक संघर्ष में यूरोपीय संघ, यूरोपीय और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ गुएडो को अमेरिका का समर्थन हासिल है। उधर, राष्ट्रपति मादुराे को रूस और चीन का समर्थन हासिल है। रूस का कहना है कि वेनेजुएला के आंतरिक मामलों में अमेरिका और अन्य मुल्काें को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। रूस और चीन राष्ट्रपति मादुरो का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।
सुरक्षा परिषद में वोटो का समीकरण
किसी भी प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद में पारित करने के लिए नौ वोटों की मंजूरी जरूरी है। इसलिए सुरक्षा परिषद में अमेरिकी प्रस्ताव के पारित होने की संभावना ज्यादा लग रही है। अमेरिका सहित इटली को छोड़कर प्रमुख यूरोपीय शक्तियों समेत करीब 50 देश गुएडो के समर्थन में हैं। हालांकि, सभी स्थाई सदस्य-अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन के पास प्रस्ताव को वीटो करने की शक्ति है।