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रिसर्च में आया सामने, विटामिन डी की कमी वालों के लिए सबसे खतरनाक है कोरोना

जिन लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है उनके लिए कोरोना संक्रमण जानलेवा होता है। विटामिन डी की कमी से जूझ रहे लोगों के कोरोना वायरस से मरने की आशंका बहुत ज्यादा है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 01:33 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 01:33 PM (IST)
रिसर्च में आया सामने, विटामिन डी की कमी वालों के लिए सबसे खतरनाक है कोरोना
रिसर्च में आया सामने, विटामिन डी की कमी वालों के लिए सबसे खतरनाक है कोरोना

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया परेशान है। तमाम संपन्न देशों के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। इस बीच एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जिन लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है उनके लिए कोरोना संक्रमण जानलेवा होता है। विटामिन डी की कमी से जूझ रहे लोगों के कोरोना वायरस से मरने की आशंका बहुत ज्यादा है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के डाटा का विश्लेषण करने के बाद ये दावा किया है। डीडब्ल्यूए वेबसाइट पर ऐसी रिसर्च प्रकाशित भी की गई है।

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अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ईरान, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका के अस्पतालों के आंकड़े लिए गए। इस शोध टीम के प्रमुख थे प्रोफेसर वादिम बैकमैन। प्रोफेसर बैकमैन की टीम को कोरोना वायरस के दौरान दुनिया भर के हेल्थकेयर सिस्टम की तुलना करने वाले शोधों से शिकायत थी। वे इस बात पर भी सहमत नहीं थे कि मौतों को टेस्टों की संख्या और देश की औसत उम्र से जोड़ा जाए।

उनका कहना था कि इनमें से कोई भी कारण अहम भूमिका निभाता नहीं दिख रहा है। यदि देशों के हेल्थ सिस्टम को देखा जाए तो उत्तरी इटली का हेल्थकेयर सिस्टम दुनिया के सबसे अच्छे सिस्टमों में से एक है। यहां भी एक ही उम्र के लोगों को लीजिए तो भी मृत्यु दर काफी अलग अलग है। इसी तरह से समान टेस्ट दर वाले देशों में भी मृत्यु दर की तुलना की, वहां भी परिणाम अलग दिखे। इसी रिसर्च में सामने आया कि जिन लोगों की मौत हो रही थी उन सभी में विटामिन डी की कमी काफी थी।

रिसर्च में यह पता चला कि इटली, स्पेन और ब्रिटेन में कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले ज्यादातर लोगों में विटामिन डी की कमी थी। कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित कई दूसरे देशों में मृतकों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है। उनका कहना है कि लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि विटामिन डी की कमी मृत्युदर में एक भूमिका निभा सकती है लेकिन हम इस पर जोर नहीं देंगे कि हर किसी को विटामिन डी की दवा लेनी चाहिए

उन्होंने बताया कि विटामिन डी के स्तर और बहुत ही ज्यादा साइटोकाइन में सीधा संबंध देखने को मिला। साइटोकाइन सूक्ष्म प्रोटीनों का एक ऐसा बड़ा ग्रुप है, जिसे कोशिकाएं संकेत देने के लिए इस्तेमाल करती हैं। इंसान के इम्यून सिस्टम को नियंत्रित या अनियंत्रित करने में साइटोकाइन सिग्नलों की अहम भूमिका होती है, अगर साइटोकाइन के चलते इम्यून सिस्टम ओवर रिएक्शन करने लगे तो स्थिति जानलेवा हो जाती है।

कोरोना वायरस के बहुत सारे मामलों में पीड़ितों की जान इम्यून सिस्टम के ओवर रिएक्शन से ही हुई है, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक विटामिन डी की कमी से बहुत ज्यादा साइटोकाइन का स्राव देखने को मिला है। रिसर्चर दानिश खान का कहना है कि साइटोकाइन का तूफान फेफड़ों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है और यह घातक रेस्पेरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम भड़का सकता है, जिससे मरीज की मौत हो जाती है। कोविड-19 के ज्यादातर मरीजों की मौत इसी वजह से हुई दिखती है।

बैकमैन का कहना है कि विटामिन डी सिर्फ इम्यून सिस्टम को दुरुस्त ही नहीं रखता है, बल्कि ये उसे ओवर रिएक्ट करने से भी रोकता है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की धूप है। धूप के साथ ही दुग्ध उत्पादों और मछली में भी विटामिन डी की अच्छी खासी मात्रा रहती है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि उनकी रिसर्च से विटामिन डी और मृत्युदर के संबंध के बीच दुनिया भर में नए शोध होंगे। इससे उन वैज्ञानिकों को इसकी वैक्सीन खोजने में भी मदद मिलेगी जो रात दिन इस काम में लगे हुए हैं।

देश की 45 फीसद आबादी में विटामिन डी की कमी

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रहने वालों के शरीर में विटामिन-डी की सामान्य वैल्यू 50-70 नैनो मोल प्रति लीटर निर्धारित की गई है, इसकी मात्रा 50 से कम होने पर इसे डिफीसिएंसी माना जाता है। विभिन्न तरह से की गई स्टडी में 30 से 45 फीसद आबादी में विटामिन-डी की कमी बताई गई है। ऐसे में लोगों को प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए विटामिन-डी की कमी को पूरा करना होगा।

विटामिन-डी की कमी दूर करने के उपाय

- धूप विटामिन-डी का प्राकृतिक स्त्रोत है। सुबह 11 बजे तक इसकी मात्रा प्रचुर रहती है। रोज धूप में 30 मिनट बैठें, मगर जिन व्यक्तियों में पहले से विटामिन कम है, उनमें इस प्रक्रिया से पूर्ति होने में देर लगेगी।

- विटामिन-डी का इंजेक्शन, सीरप बेहतर उपाय हैं। 18 से 80 वर्ष तक की आयु के लोगों के लिए पहले 12 सप्ताह का कोर्स चलता है। इसमें सप्ताह में एक बार इंजेक्शन, सीरप की डोज दी जाती है। इसके बाद दोबारा टेस्ट कर कोर्स तय किया जाता है।

- विटामिन-डी की टैबलेट और पाउडर का भी विकल्प है। यह यूनिट के अनुसार डॉक्टर के परामर्श पर लें। इसका कोर्स लंबा हो जाता है।  


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