कोरोना रोगियों के लिए राहत भरी खबर, कम होता है स्ट्रोक का जोखिम, पहले की रिपोर्ट को किया गया खारिज
एसोसिएट प्रोफेसर ब्रेट कुचियारा ने कहा कि अब जब यह पता चल चुका है कि कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक का खतरा कम होता है
वाशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे लोगों के लिए राहत भरी खबर है। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि इस बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों में स्ट्रोक का कम खतरा रहता है। अध्ययन में शामिल लोग पहले से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे। जर्नल स्ट्रोक में प्रकाशित यह अध्ययन उन प्रारंभिक रिपोर्टों का खंडन करता है, जिनमें यह कहा गया था कि कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती मरीजों में स्ट्रोक का जोखिम ज्यादा होता है।
जर्नल स्ट्रोक में प्रकाशित किया गया है यह अध्ययन
अमेरिका के पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के एक एसोसिएट प्रोफेसर ब्रेट कुचियारा ने कहा कि पहले माना जा रहा था कि लोगों में कोविड-19 की वजह से स्ट्रोक का अधिक खतरा होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि अब जब यह पता चल चुका है कि कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक का खतरा कम होता है, इससे यह साबित होता है कि स्ट्रोक के ज्यादातर मामले के लिए पहले से मौजूद बीमारियां जिम्मेदार हैं। इसलिए अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना के मरीजों के स्ट्रोक के मामलों को लेकर डॉक्टरों को यह समझना चाहिए कि इसके लिए वायरस एकमात्र कारण नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि डॉक्टर इनका इलाज सामान्य नैदानिक परीक्षण (क्लीनिकल टेस्ट) के माध्यम से करें। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी कई कारण अज्ञात हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं को स्ट्रोक और कोविड-19 के बीच संबंध जानने के लिए जांच जारी रखने की आवश्यकता है।
कैसे हुआ अध्ययन
अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियों में स्ट्रोक और जोखिम की घटनाओं का मूल्यांकन करने के लिए शोधकर्ताओं ने मार्च से मई के बीच अमेरिका के पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय, पेन प्रेस्बिटेरियन मेडिकल सेंटर और पेंसिलवेनिया अस्पताल के अस्पताल में भर्ती 844 कोविड-19 रोगियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। टीम ने मस्तिष्क में रक्तस्त्राव के मामलों के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 2.4 फीसद रोगियों इस्केमिक स्ट्रोक के शिकार हुए। इस्केमिक स्ट्रोक में मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। यह सबसे सामान्य तरह का स्ट्रोक है जो आमतौर पर मस्तिष्क में रक्त के थक्के के कारण होता है।उन्होंने कहा कि स्ट्रोक के शिकार 95 फीसद रोगी उच्च रक्तचाप और 60 फीसद मधुमेह से पीडि़त थे। ये हृदय रोग से भी पीड़ित थे।
शोधकर्ताओं के अनुसार इनमें से एक तिहाई से अधिक रोगी पहले भी स्ट्रोक के शिकार हो चुके थे। शोध के परिणामों में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के रोगियों में ये मस्तिष्कवाहिकीय घटनाओं की संभावना मौजूदा स्थितियों से जुड़ी होती है और इसका एकमात्र कारण कोरोना वायरस नहीं है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके लिए अन्य कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं। इस जानने के लिए निरंतर शोध की जरूरत होती है।