Move to Jagran APP

कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते प्रकोप का वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर पड़ सकता है प्रभाव

अगर बड़े निर्यातकों का मूल खाद्य सामग्रियों की उपलब्धता में यकीन नहीं रहेगा तो हड़बड़ी में खरीदारी बढ़ेगी और कीमतों में उछाल आएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 12:05 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 12:05 AM (IST)
कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते प्रकोप का वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर पड़ सकता है प्रभाव
कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते प्रकोप का वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर पड़ सकता है प्रभाव

संयुक्त राष्ट्र, एजेंसियां। कोरोना वायरस महामारी के तेजी से बढ़ते प्रकोप का अब तक वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर बहुत कम प्रभाव पड़ा है। लेकिन, चिंता से ग्रस्त बड़े खाद्य निर्यातक यदि दहशत में आए, तो यह स्थिति बहुत जल्द बिगड़ सकती है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि मूल अनाजों के लिए वैश्विक बाजार पूरी तरह भरे-पूरे हैं और कीमतें आमतौर पर कम हैं। 

loksabha election banner

फिलहाल खाद्य आपूर्ति पर्याप्त है और बाजार अपेक्षाकृत स्थिर है

हालांकि खाद्य उत्पादन एवं आपूर्ति की वैश्वीकृत प्रकृति को देखते हुए इन सामग्रियों को उत्पादन के मुख्य केंद्र से निकालकर उन स्थानों तक पहुंचाने की जरूरत है, जहां इनकी खपत है। डब्ल्यूएफपी की वरिष्ठ प्रवक्ता एलिजाबेथ बिर्स ने कहा कि अभी तक किसी तरह की कमी नहीं है। खाद्य आपूर्ति पर्याप्त है और बाजार अपेक्षाकृत स्थिर है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अनाज भंडार सहज स्तर पर है और गेहूं तथा अन्य मुख्य अनाजों की संभावना भी पूरे साल सकारात्मक नजर आ रही है। लेकिन, बहुत जल्द हमें खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में दरार पड़ती दिख सकती है।

हड़बड़ी में खरीदारी से कीमतों में आएगा उछाल 

बिर्स ने कहा कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि अगर बड़े निर्यातकों का मूल खाद्य सामग्रियों की उपलब्धता में यकीन नहीं रहेगा तो हड़बड़ी में खरीदारी बढ़ेगी और कीमतों में उछाल आएगा। रिपोर्ट में खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के एक अनाज बाजार विशेषज्ञ के हवाले से कहा गया कि समस्या आपूर्ति की नहीं बल्कि खाद्य सुरक्षा को लेकर व्यवहारगत परिवर्तन है। नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर विशेषज्ञ ने कहा कि थोक में खरीदारी करने वाले अगर सोचने लगे कि मई और जून में वे गेहूं या चावल नहीं खरीद पाएंगे, तो सोचिए क्या होगा? इस सोच के कारण वैश्विक खाद्य आपूर्ति संकट पैदा हो सकता है। 

खाद्य कीमतों एवं बाजारों पर निगरानी जरूरी

कम आय वाले देशों के लिए यह बर्बादी लाने वाला हो सकता है और यह लंबे समय के लिए हानिकारक प्रभाव ला सकता है। इससे उबरने की रणनीति स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं की कीमत पर तैयार होगी। डब्ल्यूएफपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य कीमतों एवं बाजारों पर निगरानी जरूरी है और पारदर्शी तरीके से सूचना देना भी, ताकि लोगों की परेशानी और सामाजिक अशांति को टाल कर सरकारी नीतियों को मजबूत बनाया जा सके।

 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.