अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के कई जजों के ईमान पर सवालिया निशान
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनएबल डेवलपमेंट (आइआइएसडी) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जज दलवीर भंडारी के मध्यस्थ के रूप में काम करने का कोई प्रमाण नहीं है।
वाशिंगटन (प्रेट्र)। कनाडा के एक संस्थान की रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के कई जजों के ईमान पर सवालिया निशान लगाया गया है। रिपोर्ट में ब्रिटेन के जज क्रिस्टोफर ग्रीनवुड समेत अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सात मौजूदा और 13 पूर्व जजों पर मध्यस्थ (आर्बिट्रेटर) के रूप में काम करने का आरोप है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) के संविधान में जजों को अन्य पेशेवर काम करने की मनाही है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनएबल डेवलपमेंट (आइआइएसडी) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जज दलवीर भंडारी के मध्यस्थ के रूप में काम करने का कोई प्रमाण नहीं है। भंडारी पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में फिर से चुने गए हैं। भंडारी और ग्रीनवुड के बीच मुकाबला था लेकिन बाद में ग्रीनवुड ने नाम वापस ले लिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मौजूदा अध्यक्ष रोनी अब्राहम और पांच पूर्व अध्यक्षों समेत मौजूदा और पूर्व के 20 जजों ने अपने कार्यकाल के दौरान मध्यस्थ के रूप में काम किया।
ग्रीनवुड ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कार्यकाल के दौरान निवेश संबंधी करीब नौ मामलों में मध्यस्थता की। इन नौ में से दो मामलों में उन्हें करीब 400,000 डॉलर (करीब 2.60 करोड़ रुपये) फीस के तौर पर दिए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे 90 मामलों से से नौ में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के जजों को करीब 10 लाख डॉलर (करीब 6.45 करोड़ रुपये) बतौर फीस दिए गए। हालांकि फीस के तौर पर दी गई पूरी राशि की जानकारी नहीं है क्योंकि निवेशक-सरकार विवाद निपटान (आइएसडीएस) के मामले सार्वजनिक नहीं किए जाते। इसलिए सही राशि इससे ज्यादा हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नौ साल के कार्यकाल के लिए 15 जजों का चुनाव होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मौजूदा करीब आधे सदस्यों ने मध्यस्थ के तौर पर काम किया है। इनमें तीन जजों ने नौ मामलों में और बाकी चार जजों ने एक या दो मामलों में मध्यस्थता की। आइआइएसडी के इकोनोमिक लॉ एंड पॉलिसी प्रोग्राम की निदेशक और रिपोर्ट की मुख्य लेखक नताली बर्नासकोनी-ऑस्टरवाल्डर ने कहा कि आइसीजे दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण और सम्मानीय न्यायालय है। इसके प्रतिनिधियों को स्वतंत्रता के उच्चतम पैमाने को कायम रखना चाहिए।
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