एक बार बनी तो 10 साल तक कारगर रहेगी कोरोना की वैक्सीन, छोटे म्युटेशन से कारगरता नहीं होगी प्रभावित
किसी भी वायरस का म्युटेशन एक सामान्य प्रक्रिया है और समय के साथ-साथ उसमें छोटे-छोटे परिवर्तन देखे जाते हैं। कोरोना वायरस के मामले में भी देखा जा रहा है कि जनवरी में पहली बार खोजे जाने के बाद से अब तक दुनिया के विभिन्न देशों में इसमें म्युटेशन हुए हैं।
नई दिल्ली [नीलू रंजन]। कोरोना के वायरस में हो रहे म्युटेशन के बावजूद इसके लिए बनी वैक्सीन लंबे समय तक कारगर रहेगी। आइसीएमआर के महानिदेशक डाक्टर बलराम भार्गव ने इन म्युटेशन को 'ड्रीफ्ट' (मामूली परिवर्तन) बताया है, जो वायरस के खिलाफ वैक्सीन के प्रभाव को कम नहीं कर सकेगी और वैक्सीन वायरस के संक्रमण को रोकने में पूरी तरह सक्षम रहेगा। माना जा रहा है कि अगले साल की शुरूआत में ही कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी और सरकार जुलाई महीने तक 30 करोड़ लोगों तक पहुंचाने की तैयारी में जुट गई है।
डाक्टर बलराम भार्गव के अनुसार किसी भी वायरस का म्युटेशन एक सामान्य प्रक्रिया है और समय के साथ-साथ उसमें छोटे-छोटे परिवर्तन देखे जाते हैं। कोरोना वायरस के मामले में भी देखा जा रहा है कि जनवरी में पहली बार खोजे जाने के बाद से अब तक दुनिया के विभिन्न देशों में इसमें म्युटेशन हुए हैं। लेकिन ये म्युटेशन इतने बड़े नहीं हैं कि इसके लिए तैयार की जा रही वैक्सीन के प्रभाव को नगण्य कर दे और वैज्ञानिकों को नए सिरे से वैक्सीन के विकास की कवायद शुरू करनी पड़े। उन्होंने आश्वस्त किया कि छोटे-छोटे म्युटेशन से वैक्सीन की कारगरता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
डाक्टर बलराम भार्गव के अनुसार कोरोना परिवार के पुराने वायरस के अध्ययन से साफ है कि इस वायरस के पूरी तरह बदलने में लगभग 10 साल लग जाते हैं। इस म्युटेशन को 'शिफ्ट' कहा जाता है। यानी नया वायरस पुराने वायरस से पूरी तरह अलग होता है। जाहिर है जो वैक्सीन पुराने वायरस पर कारगर होती थी, वह नए वायरस पर कारगर नहीं होगी और इसके लिए नए वैक्सीन को विकसित करना होगा।
कोरोना परिवार के पुराने वायरस की प्रकृति के अनुरूप वैज्ञानिकों का मानना है कि नये कोरोना कोरोना वायरस के म्युटेशन में 'शिफ्ट' आने में 10 साल लग जाएंगे। इससे साफ है कि फिलहाल कोरोना के नए वायरस के जो वैक्सीन विकसित की जा रही हैं, वे अगले 10 साल तक कारगर रह सकती है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस में हो रहे म्युटेशन के कारण जल्द ही इसके खिलाफ विकसित की जा रही वैक्सीन के निष्प्रभावी होने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन डाक्टर बलराम भार्गव ने इन आशंकाओं को खारिज कर दिया है। वहीं आइसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि वायरस के खिलाफ लड़ाई एक सतत प्रक्रिया है और कोरोना वायरस के मामले में भी यही लागू होगा।
उनके अनुसार सबसे पहले कोरोना वायरस के प्रसार को रोकना जरूरी है और वैक्सीन के बिना यह संभव नहीं है। एक बार वायरस का प्रसार रूकने के बाद उनमें हो म्युटेशन के अनुसार वैक्सीन को आसानी से रि-डिजाइन किया जा सकता है।