अब अंतरिक्ष में खोजे गए ग्रहों का भी होगा नामकरण, इस संस्था ने उठाया जिम्मा
कई देशों में एक पिंड के लिए सैकडों नाम के आवेदन मिल रहे हैं। ग्रीस में एक पिंड के लिए पहले हफ्ते में ही 1500 नाम आ गए।
वॉशिंगटन, एजेंसी। एचडी-156411 और एचएटी-पी-5बी जैसे नाम देखकर सबसे पहले यही ध्यान आता है कि यह किसी जासूसी एजेंट का कोड होगा। असल में ऐसा है नहीं। ऐसे नाम हमारे सौरमंडल के बाहर खोजे गए ग्रहों, पिंडों और तारों के रखे गए हैं।
असल में किसी भी खोज के साथ एक अच्छी बात यह होती है कि खोजी गई वस्तु का नाम रखने का मौका मिलता है। हमारे अंतरिक्ष में तो इतने अलग-अलग ग्रह, पिंड और तारे हैं कि धरती पर धूल के कणों की संख्या भी उनसे कम रह जाएगी।
इस विशाल संभावना के बावजूद इन अंतरिक्षीय पिंडो के लिए अच्छे नाम नहीं मिल पाते हैं। अब इस कमी को दूर करने की दिशा में बड़ा कदम उठा है। इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (आइएयू) ने अब इन पिंडों के विधिवत नामकरण की तैयारी की है।
आईएयू संभालता है नामकरण की व्यवस्था
अंतरिक्षीय पिंडो के नामकरण की व्यवस्था आईएयू ही संभालता है। अब उसने इस प्रक्रिया में तमाम देशों को जो़ड़ने की तैयारी की है। 1919 में स्थापित आईएयू ने अपनी 100वीं सालगिरह के मौके पर यह पहल की है। इस पहल को आईएयू 100 नेमएक्सोवल्र्ड्स कहा गया है। आईएयू से जुड़े एडुआर्डो पेंटाडो ने कहा कि यह प्रक्रिया अभी शुरआती दौर में है, लेकिन लोगों की जबर्दस्त प्रतिक्रिया मिली है।
कई देशों में एक पिंड के लिए सैकडों नाम के आवेदन मिल रहे हैं। ग्रीस में एक पिंड के लिए पहले हफ्ते में ही 1,500 नाम आ गए। इससे जुड़े लोगों का कहना है कि प्रोजेक्ट शुरू होते की नाम आने का सिलसिला शुरू हो गया।
अभी क्या है व्यवस्था?
नासा की केपलर व टेस जैसी दूरबीनों और अन्य अध्ययनों के जरिए हमारी आकाशगंगा में 1995 से अब तक करीब 4,000 ग्रह खोजे जा चुके हैं। स्थापित व्यवस्था के तहत जो भी किसी ग्रह या चांद को खोजता है, वह उसके लिए आइएयू को नाम सुझा सकता है। इसके अलावा किसी अंतरिक्षीय पिंड को नाम देने का कोई भी तरीका नहीं है। आईएयू से 93 देशों में 11,000 सदस्य जुड़े हैं।
अब सभी देशों को मिलेगा मौका
आईएयू की नई पहल से 79 देश जुड़े हैं। यूनियन ने इन सभी देशों के लिए तारों और ग्रहों की सूची तैयार की है, जिनका नामकरण करना होगा। जिस ग्रह या तारे को जिस देश के हिस्से में नामकरण के लिए रखा गया है, उस देश से वह अंतरिक्षीय पिंडो किसी छोटे दूरबीन की मदद से स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। अमेरिका के हिस्से में करीब 255 प्रकाश वषर्ष दूर स्थित तारे एचडी-17156 के नामकरण की जिम्मेदारी आई है। यह तारा हमारे सूरज से थोड़ा बड़ा और गर्म है। इस ग्रह बृहस्पति से करीब तीन गुना बड़ा है और 21 दिन में इसकी परिक्रमा पूरी कर लेता है। इस लिहाज से निश्चित तौर पर यह ग्रह जीवन के योग्य नहीं होगा।
तय नियम से रखा जाएगा नाम
नई व्यवस्था के तहत हर देश से आईएयू के प्रतिनिधि कुछ नाम चुनकर भेजेंगे। इसके बाद कुछ नियमों के आधार उनमें से ग्रह के लिए नाम चुना जाएगा। नियमों के तहत नाम का आसानी से उच्चारण होना चाहिए, धार्मिक शब्द नहीं होना चाहिए, राजनीति या सेना से संबंध नहीं होना चाहिए और किसी जीवित व्यक्ति का नाम नहीं होना चाहिए।
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