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बैटरी खत्म होने के बाद भी काम करेगी माइक्रोचिप, खुद-ब-खुद बदल जाता है इसका पावर मोड

वैज्ञानिक मासिमो अलीटो ने कहा ‘बैटलेस’ चिप्स के नए वर्ग का पहला उदाहरण है जो बैटरी चार्ज उपलब्धता के प्रति उदासीन है यानी इसके लिए बैटरी को चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ती।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 12:40 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 12:40 PM (IST)
बैटरी खत्म होने के बाद भी काम करेगी माइक्रोचिप, खुद-ब-खुद बदल जाता है इसका पावर मोड
बैटरी खत्म होने के बाद भी काम करेगी माइक्रोचिप, खुद-ब-खुद बदल जाता है इसका पावर मोड

लॉस एंजिलिस, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी माइक्रोचिप विकसित की है, जो बैटरी खत्म होने के बाद भी आसानी से लंबे समय तक काम कर सकती है। इसे ‘बैटलेस’ नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह माइक्रोचिप लंबे समय तक चलने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। इसकी मदद से खासकर ऐसी डिवाइस तैयार की जा सकती हैं जिनमें आमतौर पर बैटरी की खपत काफी ज्यादा होती है। ‘बैटलेस’ के बारे में शोधकर्ताओं ने अमेरिका में आयोजित इंटरनेशनल सॉलिड-स्टेट सर्किट्स कांफ्रेंस (आइएसएससीसी) में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह पावर मैनेजमेंट की एक नई तकनीक है। इसे एक बहुत ही छोटे सोलर-सेल चिप के जरिये बिना की किसी बैटरी की सहायता के चलाया जा सकता है।

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नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के शोधकर्ताओं के अनुसार, यह माइक्रोचिप इंटरनेट से जुड़ी डिवाइसों में पावर सेंसर नोड्स के लिए आवश्यक बैटरियों के आकार को भी काफी हद तक छोटा कर सकती है। उन्होंने कहा कि नई माइक्रोचिप इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी)के सेंसर नोड्स के उत्पादन को 10 गुना सस्ता बना सकती है।

हमेशा देखरेख की नहीं होती जरूरत : एनयूएस के प्रमुख वैज्ञानिक मासिमो अलीटो ने कहा, ‘अध्ययन के दौरान हमने पाया कि आइओटी डिवाइसों के लिए उपयोग की जाने वाली बैटरी को काफी हद तक सिकोड़ा यानी छोटा किया जा सकता है और उन्हें लगातार काम के लायक बनाए रखने के लिए हमेशा देखरेख की भी आवश्यकता नहीं होती है।’ उन्होंने कहा कि बैटरियों की मरम्मत जैसी मूलभूत समस्या से निपटने के लिए आइओटी सेंसर नोड्स को बिना बैटरी के चलाना इस दिशा में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है और इसके जरिये दुनियाभर में प्रयोग में लाए जाने वाले लाखों आइओटी डिवाइसों के किफायती निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त हो सकता है।

खुद-ब-बदल जाता है इसका पावर मोड : शोधकर्ताओं ने कहा कि जब तक बैटरी में ऊर्जा उपलब्ध रहती है जब तक यह चिप न्यूनतम-ऊर्जा मोड में चलती है ताकि इस लाइफ बढ़ाई जा सके...और जब बैटरी खत्म हो जाती है, तो चिप न्यूनतम-पावर मोड में बदल जाती है और लगभग आधे नैनो-वाट से भी कम बिजली की खपत करती है, जो एक फोन कॉल के दौरान स्मार्टफोन की बिजली की खपत से भी एक अरब गुना कम है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लगभग आधा वर्ग मिलीमीटर के क्षेत्र में यह पावर एक बहुत छोटी-सी सौर सेल चिप के जरिये भी प्रदान की जा सकती है।

जल्द बंद नहीं होती डिवाइस : शोधकर्ताओं ने कहा कि जब बैटरी खत्म हो जाती है और माइक्रोचिप न्यूनतम-पावर मोड पर चली जाती है तब भी यह चिप आइओटी की एप्लीकेशंस को निरंतर चलाए रखती है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह बैटरी के खत्म हो जाने के बाद भी यह चिप इंटरनेट से संबंधित डिवाइसों को जल्द बंद नहीं होने देती है।

शुरुआती दौर में है चिप का निर्माण : वैज्ञानिकों ने कहा कि अभी यह माइक्रोचिप निर्माण के शुरुआती दौर में है। लेकिन भविष्य में जब यह पूरी तरह तैयार हो जाएगी तो इंटरनेट के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव आएगा और कई उपकरणों को यह माइक्रोचिप ही बिजली की निर्बाध आपूर्ति करेगी और बैटरियों को बार-बार चार्ज करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

माइक्रोकंट्रोलर की तुलना में है कई बेहतर : नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के प्रमुख वैज्ञानिक मासिमो अलीटो ने कहा, ‘बैटलेस’ चिप्स के नए वर्ग का पहला उदाहरण है जो बैटरी चार्ज उपलब्धता के प्रति उदासीन है यानी इसके लिए बैटरी को चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा, न्यूनतम बिजली मोड में यह चिप 1,000 से 1,00,000 गुना कम बिजली का उपयोग करती है, जो कि न्यूनतम ऊर्जा संचालन के लिए डिजाइन किए गए सबसे अच्छे मौजूदा माइक्रोकंट्रोलर की तुलना में कई बेहतर है और हो सकता है कि भविष्य में यह माइक्रोकंट्रोलर की भी आवश्यकता का कम कर दे।


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