UN राजदूत निक्की हेली ने खोली पाकिस्तान की पोल, कहा- देता है आतंकियों को शरण
हेली ने कहा कि अमेरिकी सहायता प्राप्त करने के बावजूद पाकिस्तान ने न केवल संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के खिलाफ वोट किया बल्कि आतंकियों को शरण भी दी।
वॉशिंगटन, पीटीआइ। संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने कहा है कि पाकिस्तान उन आतंकवादियों को शरण देता है जो 'अमेरिकी सैनिकों को मारने का प्रयास करते हैं।' हेली की लिखी किताब 'विद ऑल ड्यू रिस्पेक्ट' मंगलवार को बाजार में आई है।
भारतीय मूल की अमेरिकी निक्की हेली ने इस किताब में लिखा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तब नाराज हुए जब उन्होंने उन्हें अपना यह निष्कर्ष सौंपा कि अमेरिकी सहायता प्राप्त करने वाले प्रमुख देशों में शामिल होने के बावजूद पाकिस्तान ने न केवल संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के खिलाफ वोट किया बल्कि आतंकियों को शरण भी दी।
यूएन में विरोध करता है पाक
हेली ने अपनी पुस्तक में लिखा है, 'हमने पाकिस्तान को अन्य देशों की तुलना में अधिक सहायता दी। 2017 में अमेरिका ने उसकी सेना को करीब एक अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता दी। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में पूरे 76 प्रतिशत समय हमारा विरोध करता है। सबसे बुरा यह है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण देता है जो हमारे अमेरिकी सैनिकों को मारने का प्रयास करते हैं।
नाराज हुए ट्रंप
'उन्होंने कहा, 'मैंने इन निष्कर्ष एवं अन्य चीजों से राष्ट्रपति ट्रंप को अवगत कराया। वह नाराज हुए। उसके तुरंत बाद उन्होंने कांग्रेस से एक विधेयक पारित करने के लिए कहा। इसमें यह सुनिश्चित करना था कि अमेरिकी विदेशी सहायता केवल अमेरिकी हितों और अमेरिका के मित्रों को बढ़ावा देने के लिए दी जाए।' उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता अमेरिका के लिए हमेशा ही एक प्राथमिकता रहेगी।
चीनी अर्थव्यवस्था से खतरा
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने अपनी नई किताब में बताया है कि भारत और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी और तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्थाएं हैं। यह दोनों ही स्वाधीन और पराधीन सरकारों से होने वाले खतरे का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि भारत के साथ अमेरिका की बढ़ती साझेदारी के विपरीत अमेरिका को आज जिस विदेशी ताकत से सबसे ज्यादा खतरा है, वह चीन है। हेली ने कहा कि चीन रणनीतिक रूप से अपनी वित्तीय और सैन्य मौजूदगी का अहसास पूरे विश्व में करा रहा है। लेकिन यह सब एक बहुत गलत अंदाज में हो रहा है। चीन बौद्धिक संपत्ति को चुराता है। वह प्रतिबंधों को लेकर धोखाधड़ी करने में उत्तर कोरिया की मदद करता है।