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लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 70 फीसद तक घटा

लॉकडाउन के दौरान भारत की राजधानी नई दिल्ली में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर में 70 फीसद से अधिक गिरावट दर्ज की गई है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 04:10 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 04:10 PM (IST)
लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 70 फीसद तक घटा

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान भारत की राजधानी नई दिल्ली में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर में 70 फीसद से अधिक गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर कार्बन उत्सर्जन को कम नहीं किया गया और वायु प्रदूषण पर रोक नहीं लगाई गई, तो पर्यावरण को हुए यह लाभ अस्थायी साबित होंगे। शहरी क्षेत्रों में कोरोना की स्थिति पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के 90 प्रतिशत मामले इन्हीं क्षेत्रों से आए हैं।

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई नए वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि खराब हवा का संबंध कोरोना से होने वाली उच्च मृत्युदर से है। इतना ही नहीं शहरों की आबादी और उनकी वैश्विक और स्थानीय निर्भरता उन्हें वायरस के प्रसार के लिए विशेष रूप से कमजोर बनाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कई देशों द्वारा घोषित किए गए लॉकडाउन से प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से गिरावट आई है।

हालांकि, यह पर्यावरणीय लाभ अस्थायी साबित होंगे, अगर प्रतिबंध हटाते वक्त प्रदूषण कम करने और कार्बन उत्सर्जन पर रोक लगाने की नीति नहीं अपनाई गई। भारत की राजधानी नई दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 70 फीसद से अधिक गिर गया, जबकि चीन के शहरी क्षेत्रों में 40 फीसद की कमी आई। बेल्जियम और जर्मनी में 20 प्रतिशत की कमी आने के साथ अमेरिका के विभिन्न शहरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में 19 से 40 फीसद की कमी आई है। महीन कणों में आठ फीसद की मामूली वृद्धि हुई जबकि अमेरिका और नीदरलैंड में मृत्युदर में 21.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के साथ-साथ मातृ मृत्युदर पर प्रकाश डाला गया है। महामारी से सबसे अधिक वे लोग प्रभावित हुए हैं, जो पहले से ही सामाजिक-आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

गरीबों को सर्वाधिक नुकसान

महामारी ने शहरों में रहने वाले लोगों के बीच गहरी असमानताओं को भी उजागर किया है। पहले से ही संकट का सामना कर रहे लोगों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। दुनिया की 24 प्रतिशत शहरी आबादी झुग्गियों में रहती है और आधे से कम वैश्विक आबादी अपने घरों से 400 मीटर की दूरी पर खुले स्थानों पर शौच के लिए जाती है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुतेरस ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, अपर्याप्त जल और गंदगी की चुनौतियों से जूझ रहे शहर महामारी का सबसे अधिक खामियाजा भुगत रहे हैं।


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