वैज्ञानिकों ने चूहे को नाइट विजन देने में सफलता हासिल की
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रयोग के सफल होने के बाद मनुष्यों में भी इंफ्रारेड विजन के क्षेत्र में प्रगति हो सकती है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने चूहे को नाइट विजन देने में सफलता हासिल कर ली है। उनका कहना है कि इसकी मदद से चूहे इंफ्रारेड प्रकाश को देख सकेंगे, वो भी कम से कम साइड इफेक्ट के साथ। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रयोग के सफल होने के बाद मनुष्यों में भी इंफ्रारेड विजन के क्षेत्र में प्रगति हो सकती है। यह खोज सैन्य अभियानों और सुरक्षा उपायों आदि में बहुत कारगर साबित होगी।
सेल नामक जर्नल में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि नैनोपार्टिकल्स के एक ही इंजेक्शन से चूहों में 10 हफ्तों तक के लिए इंफ्रारेड विजन आ गया। अहम बात यह है कि इसका साइड इफेक्ट भी बहुत कम था। इसके माध्यम से वह दिन के दौरान भी इंफ्रारेड लाइट देख सकते थे।
क्या होती है इंफ्रारेड रेडिएशन
मनुष्य और अन्य स्तनधारी प्रकाश की एक निश्चित तरंगदैघ्र्य को देखने के लिए सीमित हैं, जिसे दृश्य प्रकाश कहा जाता है। इसमें इंद्रधनुष के तरंगदैघ्र्य भी शामिल हैं। इंफ्रारेड रेडिएशन में लंबा तरंगदैघ्र्य होता है, जो हमारे चारों ओर होता है। इंसान, जानवर आदि इंफ्रारेड लाइट का उत्सर्जन करते हैं, क्योंकि वे गर्मी उत्पन्न करते हैं। यहां तक कि वस्तुएं भी इंफ्रारेड लाइट को प्रतिबिंबित करती हैं।
इसलिए नहीं दिखई देता इंफ्रारेड प्रकाश
चाइना की साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के तियान जू ने बताया कि दृश्यमान प्रकाश जिसे मानव की आंखों से देखा जा सकता है, उसमें विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का बहुत छोटा सा अंश है। जब प्रकाश आंख में प्रवेश करता है और रेटिना से टकराता है तो फोटोरिशेप्टर कोशिकाएं दृश्यमान प्रकाशतरंग दैघ्र्य के साथ फोटानों को अवशोषित करती हैं और मस्तिष्क को विद्युत संकेत भेजती हैं। इंफ्रारेड तरंगदैघ्र्य बहुत लंबे होते हैं, जिसकी वजह से फोटोरिशेप्टर उन्हें अवशोषित नहीं कर पाते। इसलिए हम उन्हें महसूस नहीं कर पाते। अब वैज्ञानिकों ने ऐसे नौनोपार्टिकल बनाए हैं जो इंफ्रारेड की लंबी तरंगदैघ्र्य को भी अवशोषित कर लेने में सक्षम होते हैं।