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गलत जानकारी से हैकरों को चमका देगी नई प्रणाली

हैकरों को लगेगा उनके हाथ लग रही है अहम जानकारी,वास्तव में होगा इसका उल्ट अमेरिकी वैज्ञानिकों ने विकसित की खास तकनीक

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 04 Dec 2017 09:39 AM (IST)Updated: Mon, 04 Dec 2017 09:39 AM (IST)
गलत जानकारी से हैकरों को चमका देगी नई प्रणाली
गलत जानकारी से हैकरों को चमका देगी नई प्रणाली

लास एंजिल्स (प्रेट्र)। हैकरों का नाम आते ही आईटी दिग्गज उसी तरह सहम जाते हैं, जिस तरह आम आदमी किसी कुख्यात अपराधी के बारे में सुनकर। हाल ही में ऐसे कई साइबर हमले हुए हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। हैकरों ने कुछ देशों से सरकारी और अत्यंत गोपनीय डाटा चुरा लिए तो कुछ देशों में उपभोक्ताओं का कंप्यूटर ही हैक कर पैसों की मांग की। हैकरों पर लगाम लगाने के लिए दुनियाभर के इंजीनियर प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने खास तकनीक विकसित की है। यह तकनीक हैकरों को रोकती नहीं है, बल्कि उन्हें आगे बढ़कर डाटा चुराने देती है। दरअसल, इस तकनीक के जरिए वैज्ञानिक ऐसा डाटा चोरी होने देते हैं जो फर्जी होता है। इस तरह उस डाटा के चोरी होने पर कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यही वजह है कि यह तकनीक हैकरों को चमका देने में समक्ष है।

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यह है तकनीक का नाम : अमेरिका की सैंडिया नेशनल लैबोरेट्रीज में शोधकर्ताओं द्वारा विकसित हाई फिडेलिटी अडेप्टिव डिसेप्शन एंड इम्यूलेशन सिस्टम (हेड्स) हैकर को ऐसी जानकारी देता है जिन पर वह भरोसा करें, लेकिन उसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता। शोधकर्ताओं ने यह तकनीक इस तरह तैयार की है कि सुरक्षा चक्रों को भेद जब हैकर गुप्त जानकारी के पास पहुंचेंगे तो उन्हें लगेगा कि वे अहम जानकारी उड़ाने जा रहे हैं, जबकि उनके हाथ पूरी तरह से काल्पनिक और फर्जी चीजें लगेंगी। इनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होगा। इस तरह हैकर जीत कर भी जार जाएंगे।

हैकर को रोक देना स्थाई हल नहीं
सैंडिया नेशनल लैबोरेट्रीज के विंस यूरियाज के मुताबिक, हैकर को रोक देना कोई स्थाई हल नहीं है। हैकर इतने चालाक होते हैं कि वे फिर किसी तरकीब का प्रयोग कर सुरक्षा को भेदने का प्रयास करने लगते हैं। चाहे जितने भी सुरक्षा चक्र तैयार कर लिए जाएं वे किसी न किसी प्रकार उसका तोड़ निकाल ही लेते हैं। इसी के चलते हमने इसका स्थाई समाधान तलाशने पर विचार किया और इस तकनीक पर काम किया।

इस तरह काम करती है तकनीक

शोधकर्ताओं के मुताबिक, किसी डेटा स्नोत से एक हैकिंग प्रोग्राम को संक्षिप्त रूप से निकालने की बजाए, ऐसे प्रोग्राम को आसानी से हेड्स में ले जाया जाता है, जहां हूबहू तैयार की गई हार्ड ड्राइव, मेमोरी और डेटा संग्रह वास्तविक जानकारियों का आभास कराते हैं। बहरहाल, कुछ जानकारियों में प्रत्यक्ष रूप से नहीं, लेकिन एहतियातन बदलाव किए जाते हैं। इस तरह हैकर अपनी मंजिल पर पहुंचकर डाटा चुरा भी लेता है तो वास्तव में उसके हाथ कुछ नहीं लगता।

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