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फेक न्यूज से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ निकाला नया फॉर्मूला

एल्गोरिदम-आधारित प्रणाली के जरिए फेक न्यूज को पहचान कर इस पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। अमेरिका में मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सिस्टम विकसित किया है।

By Arti YadavEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 01:24 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 02:16 PM (IST)
फेक न्यूज से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ निकाला नया फॉर्मूला
फेक न्यूज से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ निकाला नया फॉर्मूला

वाशिंगटन (प्रेट)। वैज्ञानिकों ने एक एल्गोरिदम-आधारित प्रणाली विकसित की है जो कि फेक न्यूज को ऑटोमेटिक तरीके से फिल्टर करेगा। इसके जरिए फेक न्यूज को पहचान कर इस पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। अमेरिका में मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सिस्टम विकसित किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह फेक न्यूज का पता लगाना मनुष्यों की तुलना में काफी बेहतर है। हाल ही के एक अध्ययन में 70 प्रतिशत की मानव सफलता दर की तुलना में, एल्गोरिदम-आधारित प्रणाली 76 प्रतिशत तक सफल रही है।

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इसके अलावा फेक न्यूज की पहचान के लिए भाषाई विश्लेषण दृष्टिकोण का उपयोग किया जा सकता है जो कि अन्य कहानियों के साथ अपने तथ्यों की तुलना करके फेक न्यूज का भंडाफोड़ करेगा। मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रडा मिहालसी ने कहा कि एक स्वचालित समाधान उन साइटों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है जो फेक न्यूज से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। इन फेक न्यूज का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा क्लिक प्राप्त करने या सार्वजनिक राय के हेर-फेर के लिए किया जाता है।

फेक न्यूज का पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि सोशल मीडिया साइट फेक न्यूज का पता लगाने के लिए मानव संपादकों पर निर्भर करती हैं, जो अक्सर खबरों के प्रवाह के अनुसार फेक न्यूज का अनुमान लगाते हैं। इसके अलावा, वर्तमान तकनीक अक्सर तथ्यों के बाहरी सत्यापन पर निर्भर करती है, जो नई खबरों के साथ मुश्किल हो सकती है। अक्सर, जब तक ये पता चलता है कि खबर झूठी है, तब तक नुकसान हो चुका होता है।

एल्गोरिदम क्या है
ये कंप्यूटर का एक अदृश्य लेकिन आवश्यक प्रोग्राम होता है, जिसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए तैयार किया जाता है। विशाल डेटाबेस में कंटेंट की फिल्टरिंग का काम करने के लिए एल्गोरिदम की जरूरत पड़ती है। ये हमारे गूगल सर्च, हमारे फेसबुक फीड को भी संचालित करते हैं साथ ही कभी-कभी अनचाहे विषयसामग्रियों (हिंसा, पोर्नोग्राफी, नस्लवादी कंटेंट) को भी सेंसर करते हैं।


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