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कैंसर से बचना है तो डालनी होंगी अच्‍छी आदतें, एक शोध में सामने आई बात

नानजिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोध में डीएनए के उस क्षेत्र की खोज की है जो कैंसर के जोखिम को प्रभावित करता है। पीआरएस रोगियों में व्यक्तिगत स्तर पर कैंसर का जोखिम पैदा करते हैं। वैज्ञानिक सीपीआरएस बनाने की कोशिश कर है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 08:51 AM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 08:51 AM (IST)
कैंसर से बचना है तो डालनी होंगी अच्‍छी आदतें, एक शोध में सामने आई बात
कैंसर को लेकर हुआ है एक नया शोध

वाशिंगटन (एएनआइ)। कैंसर के प्रसार को देखते हुए इसके जोखिम वाले कारकों को लेकर लगातार शोध हो रहे हैं। ताकि इसकी रोकथाम और इलाज के प्रभावी तरीके अपनाए जा सकें। इसी क्रम में अमेरिकन एसोसिएशन फार कैंसर रिसर्च के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि लोगों की जीवनशैली या आदतें किस प्रकार से कैंसर के आनुवंशिक जोखिम को प्रभावित करती हैं। बता दें कि कैंसर के कारकों में आनुवंशिकता भी एक अहम घटक है।

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इस संबंध में नानजिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गुआंगफू जिन की अगुआई में किया गया शोध कैंसर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं की दिलचस्पी डीएनए के उस क्षेत्र की खोज करने में रही है, जो विशिष्ट बदलाव के जरिये कैंसर के जोखिम को प्रभावित करता है। इसे पालीजेनिक रिस्क स्कोर (पीआरएस) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो रोगियों में व्यक्तिगत स्तर पर उन विशिष्ट बदलावों के आधार पर कैंसर का जोखिम पैदा करते हैं। जिन ने बताया- हमने एक संकेतक- कैंसर पालीजेनिक रिस्क स्कोर (सीपीआरएस) बनाने की कोशिश की है ताकि कैंसर के आनुवंशिक जोखिम को समग्र रूप में आकलित किया जा सके।

कैसे किया अध्ययन : कैंसर ग्रस्त 16 पुरुष और 18 महिलाओं का जीनोम-वाइड एसोसिएशन के पास मौजूद डाटा के आधार पर पीआरएस का आकलन किया गया। इसके बाद उन स्कोर को सांख्यिकीय पद्धति के जरिये कैंसर के एकल जोखिम का आकलन किया, जो सामान्य आबादी में कैंसर के विभिन्न प्रकार में सापेक्ष अनुपात के आधार पर थे। पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग सीपीआरएस तैयार किए गए।

सीआरपीएस की पुष्टि के लिए शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक के 202,842 पुरुषों और 239,659 महिलाओं के जीनोटाइप सूचनाओं का इस्तेमाल किया। यूके बायोबैंक के इन सहभागियों का सर्वे जीवनशैली के विभिन्न कारकों के आधार पर किया गया था। इनमें घूमपान, शराब पीने, बाडी मास इंडेक्स (बीएमआइ), व्यायाम की आदतें तथा खानपान भी शामिल थीं। इन कारकों के आधार पर शोधकर्ताओं ने रोगियों को प्रतिकूल (शून्य से एक स्वास्थ्य कारक), मध्यवर्ती (2 से 3 स्वास्थ्य कारक) तथा अनुकूल (4 से 5 स्वास्थ्य कारक) के आधार पर वर्गीकृत किया गया।

परिणाम : जिन रोगियों में हाल-फिलहाल (2015-2016) में रोग का पता चला, उनमें अधिकतम सीआरपीएस पुरुषों में दोगुना और महिलाओं में 1.6 गुना ज्यादा पाया गया। अध्ययन में शामिल 97 फीसद रोगियों में कम से कम एक प्रकार के कैंसर का उच्च आनुवंशिक जोखिम था। इससे पता चला कि लगभग हर व्यक्ति कम से कम एक प्रकार के कैंसर के प्रति संवेदनशील है। साथ ही स्वस्थ जीवनशैली की अहमियत का भी संकेत मिला।

प्रतिकूल जीवनशैली वाले रोगियों में उच्च आनुवंशिक जोखिम अनुकूल जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में पुरुषों में 2.99 गुना तथा महिलाओं में 2.38 गुना ज्यादा था। जो रोगी पांच साल से कैंसरग्रस्त थे, उनमें 7.23 फीसद पुरुष और 5.77 फीसद महिलाएं थीं, जिनकी जीवनशैली प्रतिकूल श्रेणी की रही। जबकि स्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों में 5,51 फीसद पुरुष और 3.69 फीसद महिलाएं ही रोगग्रस्त पाई गईं।


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