अब एआइ प्रणाली के जरिये खोजी जा सकेंगी नई दवाएं, जांच भी होगी
ट्रॉप्शा के मुताबिक, अभी नई दवाओं को खोजने में बहुत समय और मेहनत खर्च होता है। इससे लागत बढ़ जाती है। इस नई एआइ प्रणाली के जरिये समय और लागत की काफी बचत हो सकेगी।
वाशिंगटन [प्रेट्र]। दुनिया भर के वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक पर काम कर रहे हैं। इसके जरिये न केवल भविष्य के मोबाइल व रोबोट तैयार किए जा रहे हैं, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में भी इनसे मदद ली जा रही है। इसी कड़ी में दवा बनाने वाली कंपनियां अब नए प्रयोग के लिए एआइ की मदद ले रही हैं। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए अमेरिका में वैज्ञानिकों ने एआइ की मदद से ऐसा सिस्टम तैयार किया है कि जो जांच परख कर नई दवाओं की खोज करेगा।
इस तरह करता है काम
वैज्ञानिकों ने बताया कि रिलीज यानी रिइनफोर्समेंट लर्निंग फॉर स्ट्रक्चरल इवोल्यूशन नाम का यह सिस्टम दो न्यूरल नेटवर्क पर आधारित है, जिसमें एक नेटवर्क टीचर और दूसरा स्टूडेंट है। टीचर में लगभग 17 लाख एक्टिव जैविक अणुओं से संबंधित सभी रासायनिक संरचनाओं की जानकारी फीड है और टीचर के साथ काम करके स्टूडेंट उन सभी संरचनाओं की जानकारी लेता है। इस तरह स्टूडेंट इन जानकारी के प्रयोग से नई दवाओं के निर्माण का कार्य करता है।
अल्फाबेट सीखकर नए शब्द बनाने जैसा काम
अमेरिका के चैपल हिल स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के एलेक्जेंडर ट्रॉप्शा का कहना है कि यह प्रक्रिया अंग्रेजी के अल्फाबेट को सीखकर नए शब्दों का निर्माण करने की तरह है। दवाओं के लिए नए अणु के निर्माण के बाद टीचर उसकी जांच करता है। यदि नई संरचना सही है तो वह उसे सही करार देता है अन्यथा स्टूडेंट से और नए अणु के निर्माण के लिए कहता है। ट्रॉप्शा का कहना है कि रिलीज दवा कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण आविष्कार है।
ये मिलेगी मदद
ट्रॉप्शा के मुताबिक, अभी नई दवाओं को खोजने में बहुत समय और मेहनत खर्च होता है। इससे लागत बढ़ जाती है। इस नई एआइ प्रणाली के जरिये समय और लागत की काफी बचत हो सकेगी। इसी के साथ उस दवा के प्रभाव की जांच भी तुरंत हो सकेगी। यदि वह दवा सुरक्षित नहीं होगी तो प्रणाली नई दवा खोजने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
अभी रासायनिक प्रयोगशाला पर हैं निर्भर
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अब तक फार्मास्युटिकल कंपनियां दवाओं के निर्माण के लिए रासायनिक लैब पर निर्भर रहती हैं। वहां पहले से ज्ञात रासायन पर ही प्रयोग संभव है। यानी जितने रासायनों की जानकारी है उन्हीं के संयोजन से नई दवाओं की तलाश की जाती है।
वहीं, दूसरी तरफ रिलीज पहले से निर्धारित प्रक्रिया पर तो कार्य करता ही है, साथ ही नए अणु की खोज करने में भी सक्षम है। इस तरह नए रासायनों पर भी विचार करके यह दवाएं तैयार कर सकता है। इससे नई दवाओं की मिलने की संभावना में इजाफा होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आविष्कार दवा इंडस्ट्री के लिए इसलिए लाभकारी है क्योंकि यहां रोज नए आविष्कार की जरूरत है।