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NASA New Mission: नए मिशन की तैयारी में नासा, सूर्य के बारे में मिलेगी अहम जानकारियां

नासा ने एक बयान में कहा कि सात फरवरी 2020 को अमेरिका के केप कैनावेरल से सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट को लांच किया जाएगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 07:12 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 07:12 PM (IST)
NASA New Mission: नए मिशन की तैयारी में नासा, सूर्य के बारे में मिलेगी अहम जानकारियां

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के साथ मिलकर अगले महीने एक नया स्पेसक्राफ्ट लांच करने जा रही है। इसके माध्यम से सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की पहली बार तस्वीरें ली जाएंगी।

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नासा ने एक बयान में कहा कि सात फरवरी 2020 को अमेरिका के केप कैनावेरल से सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट को लांच किया जाएगा। स्पेसक्राफ्ट शुक्र और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से सूर्यपथ के ऊपर-नीचे झूलता रहेगा। सूर्यपथ अंतरिक्ष की वह पट्टी है जो सूर्य के इक्वेटर के साथ संबंधित है और इसी पट्टी पर सभी ग्रहों की कक्षा है।

अमेरिका में नेवल रिसर्च लैब के अंतरिक्ष वैज्ञानिक रसेल हॉवर्ड ने कहा, 'नए स्पेसक्राफ्ट के माध्यम से हम सूर्य को ऊपर और नीचे से देखने में सक्षम होंगे।' सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट में दस उपकरण लगाए गए हैं।

सूर्य हमारे चारों ओर के अंतरिक्ष को बनाने में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। इसका विशाल चुंबकीय क्षेत्र प्लूटो से आगे फैला हुआ है। जिसके माध्यम से आवेशित सौर कण यात्रा करते हैं। जिन्हें सौर हवाएं भी कहते हैं।

जब प्रचंड सौर हवाएं पृथ्वी से टकराती हैं तो यह हमारे मौसम और संचार उपग्रहों में बाधा डालती हैं, ये सौर हवाएं अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकती हैं। इन सौर तूफानों से तैयारी के लिए वैज्ञानिक सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र की निगरानी करते हैं। हालांकि, अभी तक यह निगरानी केवल सूर्य पथ के माध्यम से सीधे-सीधे की जाती है। हम सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के बारे में ज्यादा नहीं समझ पाते, जिससे सटीक सूचना मिलने में गड़बड़ी होती है।

नासा के परियोजना वैज्ञानिक होली गिल्बर्ट ने कहा, 'ध्रुवों के बारे में जानकारी इकट्ठा करके हम अपनी सूचना प्रणाली को और सटीक बना सकते हैं।' शोधकर्ताओं ने बताया कि अंतरिक्ष मौसम की पूर्वानुमान के लिए हमें सूर्य के वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र के सटीक मॉडल की आवश्यकता है।

11 साल का होता है सौर चक्र

1843 में जर्मन खगोल विज्ञानी सैमुअल हेनरी श्वेबे ने पाया था कि सूर्य की सतह पर स्पॉट मौजूद हैं जो घटते और बढ़ते रहते हैं। दरअसल ये स्पॉट सूर्य के मजबूत चुंबकीय क्षेत्र को चिह्नित करते हैं। आज वैज्ञानिक इसे सौर चक्र के रूप में जानते हैं। यह 11 वर्ष का होता है। इसमें पहले चक्र में सूर्य के स्पॉट फैलते हैं तो सूर्य सक्रिय और अशांत होता है और जब ये सिकुड़ते हैं तो सूर्य शांत हो जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि आजतक यह नहीं पता चल पाया कि यह चक्र 11 वर्षो का ही क्यों होता है। इसलिए सूर्य के ध्रुवों का करीब से अध्ययन कर इस बारे में समझा जा सकता है।


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