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Water on Mars: नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने मंगल पर पानी के इतिहास से उठाया पर्दा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने नई जानकारियां साझा की हैं जिनसे पता चलता है कि किसी समय लाल ग्रह पर विपुल मात्रा में पानी उपलब्ध रहता था। पर्सिवरेंस रोवर को पिछले साल 30 जुलाई को लांच किया गया था।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 05:56 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 05:56 PM (IST)
Water on Mars: नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने मंगल पर पानी के इतिहास से उठाया पर्दा
प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस में प्रकाशित हुई विज्ञानियों के अध्ययन की पहली रिपोर्ट

वाशिंगटन, आइएएनएस। मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर (महाखड्ड) का चक्कर लगा रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने नई जानकारियां साझा की हैं, जिनसे पता चलता है कि किसी समय लाल ग्रह पर विपुल मात्रा में पानी उपलब्ध रहता था। पर्सिवरेंस रोवर को पिछले साल 30 जुलाई को लांच किया गया था और वह 203 दिनों में 47.2 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करने के बाद इस वर्ष 18 फरवरी को लाल ग्रह पर उतरा था।

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नासा के पर्सिवरेंस ने जेजेरो क्रेटर की सतह के बारे में खोजबीन की, जो कभी झील थी। इसके अलावा उसने क्रेटर के किनारे पर स्थित एक सूखी हुई नदी के डेल्टा के बारे में भी जानकारियां जुटाई हैं। इस छह पहियों वाले रोवर द्वारा भेजी गईं तस्वीरों के आधार पर विज्ञानियों की टीम ने प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस में पहला वैज्ञानिक निष्कर्ष प्रकाशित किया है। तस्वीरों से पता चलता है कि अरबों वर्ष पहले जब मंगल का वातावरण उसकी सतह पर पानी के बहाव के लिए अनुकूल था तब, पंखे के आकार वाले जेजेरो डेल्टा पर बाढ़ आई थी। इसके साथ बहकर आए पत्थर व मलबे के कारण क्रेटर के बाहर एक पर्वतीय कुआं बन गया था।

रोवर ने एक खड़ी ढलान की तस्वीर भी भेजी है, जिसे डेल्टा का स्कार्पमेंट्स या स्का‌र्प्स कहा जाता है। प्राचीन नदी के मुहाने पर यह ढलान गाद से बनी है। इस नदी के जरिये ही झील में पानी जाता था। रोवर की बाईं और दाईं ओर लगे मास्टकैम-जेड कैमरों व इसके रेमोट माइक्रो इमेजर (सुपरकैम का हिस्सा) से ली गईं तस्वीरें यह भी बताती हैं कि रोवर किन जगहों से पत्थर व गाद के नमूने ले सकता है।

इनमें कार्बनिक यौगिक व अन्य साक्ष्यों के नमूने भी हो सकते हैं, जो इस बात के प्रमाण होंगे कि कभी मंगल पर जीवन था। अध्ययन के नेतृत्वकर्ता विज्ञानी निकोलस मैंगोल्ड ने कहा, 'हमने 1.5 मीटर तक बोल्डर वाले स्का‌र्प्स में अलग-अलग परतें देखीं। इन परतों का अर्थ है कि वहां कभी धीमा और घुमावदार जलमार्ग रहा होगा। उससे डेल्टा तक पानी पहुंचता होगा और बाद में वहां बाढ़ आ गई होगी।'


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