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कोरोना वायरस के मामूली लक्षणों वाले मरीजों के लिए नासा ने बनाया कम कीमत का वेंटिलेटर

खास कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक नया कम कीमत का हाईप्रेशर वेंटिलेटर तैयार किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 06:38 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 06:38 PM (IST)
कोरोना वायरस के मामूली लक्षणों वाले मरीजों के लिए नासा ने बनाया कम कीमत का वेंटिलेटर
कोरोना वायरस के मामूली लक्षणों वाले मरीजों के लिए नासा ने बनाया कम कीमत का वेंटिलेटर

वाशिंगटन, एजेंसियां। खास कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक नया कम कीमत का हाईप्रेशर वेंटिलेटर तैयार किया है। आसानी से तैयार किए जाने वाले इस उपकरण को नासा के इंजीनियरों ने वाइटल (वेंटिलेटर इंटरवेंशन टेक्नोलॉजी एक्सिसेबल लोकली) नाम दिया है। इससे हल्के लक्षण वाले मरीजों का इलाज किया जाएगा। नासा का बनाया वेंटिलेटर विगत 21 अप्रैल को नोवल कोरोना वायरस संक्रमण के केंद्र रहे न्यूयार्क के माउंट सिनाई स्थित इक्हान स्कूल ऑफ मेडिसिन में सभी टेस्ट में खरा उतरा है। 

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वेंटिलेटर के आपात इस्‍तेमाल के लिए की जा रही है समीक्षा  

नासा ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका फूड एंड ड्रंग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) अब इस वेंटिलेटर के आपात इस्तेमाल के लिए इसकी समीक्षा कर रही है। वाइटल वेंटिलेटर से हल्के लक्षणों वाले मरीजों का इलाज किया जाएगा, ताकि अमेरिका में सीमित मात्रा में मौजूदा परंपरागत वेंटिलेटरों से कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए सुरक्षित रखा जा सके। नासा के चीफ हेल्थ एंड मेडिकल अफसर जेडी पोल्क ने बताया कि वाइटल वेंटिलेटर परंपरागत वेंटिलेटरों के मुकाबले काफी सस्ता है। वाइटल का निर्माण अपेक्षाकृत अधिक तेजी से हो सकेगा और इसमें कम उपकरणों की जरूरत पड़ती है। इसी कारण यह ज्यादा सस्ता पड़ता है। 

मरीजों को गंभीर अवस्‍था में जाने से बचाएगा 

नासा के इंजीनियरों ने इसे दक्षिणी कैलीफोर्निया स्थित नासा की जेट प्रपलजन लैबोरेट्री (जेपीएल) में तैयार किया है। सभी वेंटिलेटर की तरह वाइटल में भी मरीजों को बेहोश करके ऑक्सीजन की ट्यूब लगाई जाती है। इसका मकसद कम बीमार मरीजों को पहले ही ठीक करके उन्हें गंभीर अवस्था में पहुंचने से बचाना है। ताकि हालात और न बिगड़ें।

गौरतलब है कि अमेरिका में ही कोरोना वायरस की वजह से अब तक 50243 मरीजों की जान अब तक जा चुकी है और करीब साढ़े आठ लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। यहां पर मरीजों का काफी संख्‍या के कारण उपकरणों की कमी हो गई है। इसलिए वहां क तमाम संस्‍थाएं इस समय स्‍वास्‍थ्‍य उपकरणों की निर्माण कर रहीं हैं। 

 

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