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नासा ने बृहस्पति के वातावरण में खोजा पानी, सौर मंडल के गठन के पहेली को सुलझाने में मिलेगी मदद

जूनो मिशन के आंकड़ों पर आधारित खगोलविदों का यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित हुआ है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 07:44 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 07:46 PM (IST)
नासा ने बृहस्पति के वातावरण में खोजा पानी, सौर मंडल के गठन के पहेली को सुलझाने में मिलेगी मदद
नासा ने बृहस्पति के वातावरण में खोजा पानी, सौर मंडल के गठन के पहेली को सुलझाने में मिलेगी मदद

वाशिंगटन डीसी, एएनआइ। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने हाल ही में दावा किया है कि पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह 'बृहस्पति' के वातावरण में पानी मौजूद है लेकिन इसका वितरण पूरी तरह असमान है। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) की वेबसाइट पर जारी एक बयान के अनुसार, बृहस्पति के वायुमंडल में लगभग 0.25 फीसद पानी है, विशेषकर भूमध्यरेखीय क्षेत्रों के आसपास इसकी अधिकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बृहस्पति में पानी मिलने के बाद सौर मंडल के गठन की पहेलियों को सुलझाने में मदद मिल सकती है।

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जूनो मिशन के आंकड़ों पर आधारित खगोलविदों का यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका 'नेचर एस्ट्रोनॉमी' में प्रकाशित हुआ है। इसमें नासा द्वारा 1995 में भेजे गए गैलीलियो मिशन के बाद पहली बार गैस की बहुलता वाले इस विशालकाय ग्रह (बृहस्पति) पर पानी की मौजूदगी के बारे में जानकारी दी गई है।

जूनो की यह खोज आश्चर्यजनक

जूनो के प्रमुख अन्वेषक स्कॉट बोल्टन ने नासा के एक लेख में कहा है कि जूनो की यह खोज आश्चर्यजनक है। हालाकि यहां बादलों के नीचे का वातावरण अभी भी एक पहेली बना हुआ है, जिसे हल करने के लिए खगोलविद प्रयासरत हैं। उन्होंने लेख में आगे लिखा है कि बृहस्पति में पानी के बारे में अभी तक किसी ने अनुमान भी नहीं लगाया होगा, लेकिन नए अध्ययन में इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि हमारे पड़ोसी ग्रह के कुछ क्षेत्रों में पानी की भरमार है।

धूल और गैसों से बना ग्रह

जेपीएल के शोधकर्ताओं के मुताबिक, बृहस्पति सूर्य के मुकाबले बेहद सूखा हो सकता है। यह तुलना दोनों पर पानी के तत्वों (ऑक्सीजन व हाइड्रोजन) की मौजूदगी के आधार पर की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बृहस्पति संभवत: सबसे पहला ग्रह था और इसका अधिकतर हिस्सा धूल व गैसों से बना हुआ है, जो सूर्य में शामिल नहीं है। नासा के वैज्ञानिकों ने कहा कि बृहस्पति के निर्माण से जुड़ी मुख्य परिकल्पनाओं के मुताबिक, इस ग्रह का शेष हिस्सा उसके द्वारा सोखे गए पानी के कारण बना है। शोधकर्ताओं ने कहा, 'पानी की अत्यधिक मौजूदगी का संबंध इस विशालकाय गैस पिंड के मौसम और आंतरिक संरचना से जुड़ा हुआ है। बृहस्पति पर पानी के वितरण का आंकड़ा सूर्य से करीब तीन गुना अधिक है। इस ग्रह पर पानी की भरमार है, लेकिन इसका वितरण असमान है।

भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में है पानी की भरमार

जूनो मिशन से जुड़े वैज्ञानिक और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के चेंग ली ने बताया कि गैलीलियो की जांच में यह बात सामने आई है कि इसके भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में पानी की भरमार है क्योंकि बृहस्पति का यह क्षेत्र बहुत अनोखा है। उन्होंने कहा कि हमें इन परिणामों की तुलना इसके अन्य क्षेत्रों से भी करने की जरूरत है। ली ने कहा, 'खगोलविद दशकों से बृहस्पति में पानी की मौजूदगी का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और यह हमारे सौर मंडल के गठन की पहेली सुलझाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।'


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