कोरोना के गंभीर खतरे से बचा सकती है डायबिटीज की दवा, नए शोध में आया सामने
अमेरिका के पेन स्टेट कालेज आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष करीब 30 हजार टाइप-2 डायबिटीज रोगियों के इलेक्ट्रानिक मेडिकल रिकार्ड के विश्लेषण के आधार पर निकाला है। ये लोग गत वर्ष जनवरी से सितंबर के दौरान कोरोना पाजिटिव पाए गए थे।
वाशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ ज्यादा प्रभावी उपचारों के विकास पर चल रहे अध्ययनों के साथ ही मौजूदा दवाओं में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसी कवायद में किए गए एक अध्ययन में डायबिटीज (Diabetes) और मोटापे के उपचार में पहले से इस्तेमाल हो रही एक दवा में उम्मीद की नई किरण दिखाई दी है। यह दवा कोरोना के गंभीर खतरे से बचा सकती है। अध्ययन के अनुसार, कोरोना की चपेट में आने से छह माह पहले से इस दवा का उपयोग करने वाले टाइप-2 डायबिटीज रोगियों में वायरल संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती होने, श्वसन संबंधी जटिलताओं और मौत के खतरों में कमी पाई गई है।
अमेरिका के पेन स्टेट कालेज आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष करीब 30 हजार टाइप-2 डायबिटीज रोगियों के इलेक्ट्रानिक मेडिकल रिकार्ड के विश्लेषण के आधार पर निकाला है। ये लोग गत वर्ष जनवरी से सितंबर के दौरान कोरोना पाजिटिव पाए गए थे। डायबिटीज पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इस नतीजे पर पहुंचा गया है कि कोरोना संबंधी जटिलताओं के खिलाफ ग्लूकागान-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर (जीएलपी-1आर) एगोनिस्ट नामक दवा के संभावित सुरक्षात्मक प्रभावों का और मूल्यांकन किया जाना चाहिए। अध्ययन की शोधकर्ता और पेन स्टेट कालेज की प्रोफेसर पेट्रिसिया ग्रिगसन ने कहा, 'हमारे अध्ययन के नतीजे उत्साहजनक हैं, क्योंकि जीएलपी-1आर एगोनिस्ट उपचार को बेहद सुरक्षित पाया गया है। हालांकि इस दवा के उपयोग और टाइप-2 डायबिटीज रोगियों में कोरोना के गंभीर असर में कमी को लेकर और अध्ययन की जरूरत है।'
भारत में सुधर रही कोरोना की स्थिति
भारत में कोरोना की स्थिति अब सुधर रही है। देश में एक दिन में कोरोना संक्रमण के 18,870 नए मामले दर्ज किए गए हैं और इसके साथ ही संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 3,37,16,451 हो गई है। ऐसा लगातार दूसरे दिन हुआ है जब केरल में 20 हजार से कम नए मामले सामने आए हैं। केरल में बड़े पैमाने पर टीकाकरण चल रहा है जिसके बावजूद हर दिन संक्रमण के 10 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।