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दिल के लिए कम वायु प्रदूषण भी खतरनाक, पढ़ें अध्ययन में सामने आईं बातें

एक नए अध्ययन में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली से संबंधित दो बायोमार्कर की पहचान की गई है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 08:57 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 08:57 AM (IST)
दिल के लिए कम वायु प्रदूषण भी खतरनाक, पढ़ें अध्ययन में सामने आईं बातें
दिल के लिए कम वायु प्रदूषण भी खतरनाक, पढ़ें अध्ययन में सामने आईं बातें

वॉशिंगटन, एजेंसी। शोधकर्ताओं का कहना है कि दिल के लिए ना सिर्फ उच्च बल्कि निम्न वायु प्रदूषण भी खतरनाक हो सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि कुछ अवधि तक कम वायु प्रदूषण वाले माहौल में रहने से भी अचानक हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। खासतौर पर बुजुर्गो को इसका सामना करना पड़ सकता है।

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ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, आउट ऑफ हॉस्पिटल कार्डिक अरेस्ट (ओएचसीए) के 90 फीसद से ज्यादा मामले ऐसी आबोहवा में सामने आते हैं, जिसमें पीएम2.5 का निम्न स्तर रहता है। इस अध्ययन में ओएचसीए और गैसीय प्रदूषकों के बीच संबंध पाया गया है।

इन प्रदूषकों की उत्पत्ति कोयला जलने या खनन, जंगलों की आग और वाहन जैसे स्रोतों से होती है। यह निष्कर्ष उस हालिया साक्ष्य का समर्थन करता है कि वायु प्रदूषण का कोई भी स्तर सुरक्षित नहीं है। मानक के अनुरुप वायु गुणवत्ता रहने के बावजूद कार्डिक अरेस्ट (हृदय गति रुकने) का खतरा बढ़ सकता है। (प्रेट्र)

बहरेपन के खतरे का पता लगाएंगे मस्तिष्क के बायोमार्कर

एक नए अध्ययन में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली से संबंधित दो बायोमार्कर की पहचान की गई है। इनसे यह पता लगाया जा सकता है कि सामान्य तौर पर सुनने वाले कुछ लोगों को शोरगुल वाले माहौल में बातचीत करने में क्यों दिक्कतों का सामना करना पड़ता है? इससे बहरेपन के खतरे का अनुमान भी लग सकता है।

ईलाइफ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, सुनने का प्रयास और आवृत्तियों में तेज बदलाव करने की क्षमता जैसे दो बायोमार्कर से यह संकेत मिल सकता है कि क्या कोई व्यक्ति सुनने की क्षमता खो रहा है? इस तरह के खतरों का पता लगाने के लिए नई जांच के विकास का रास्ता प्रशस्त हो सकता है। लाउर टिनिटस रिसर्च सेंटर के शोधकर्ता डेनियल बी पॉली ने कहा, 'सुनने के उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। इससे लोगों को लगता है कि वे जिस डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे बाहरी दुनिया में कहीं ज्यादा शोर है।' (एएनआइ)


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