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फेसबुक पर अमेरिका में मुकदमा दर्ज, अमेरिकी श्रमिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप

अमेरिकी न्याय विभाग ने अमेरिकी श्रमिकों के साथ कथित भेदभाव के मामले में फेसबुक पर मुकदमा चलाने की घोषणा की है। फेसबुक पर आरोप है कि उसने अमेरिकी कर्मचारियों को 2600 से अधिक पदों पर नियुक्ति से वंचित रखा।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 09:13 AM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 09:13 AM (IST)
फेसबुक पर अमेरिका में मुकदमा दर्ज, अमेरिकी श्रमिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप
फेसबुक पर अमेरिकी श्रमिकों के साथ भेदभाव का आरोप।

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी सरकार ने दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। ट्रंप प्रशासन ने कंपनी पर उच्च वेतन वाली नौकरियों में अमेरिकी लोगों से भेदभाव करने और एच-1बी वीजाधारकों का पक्ष लेने के आरोप लगाए हैं। सरकार का कहना है कि कंपनी अप्रवासी श्रमिकों की मदद कर उन्हें उच्च वेतनमान पर रखती है जबकि अमेरिकी लोगों को अवसर मुहैया नहीं कराती है। अमेरिकी न्याय विभाग के मुकदमे ने तकनीकी कंपनियों के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है। इस कार्रवाई को राष्ट्रपति ट्रंप की आव्रजन नीति के एक हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।

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मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि फेसबुक ने जनवरी 2018 से लेकर सितंबर 2019 तक कुल 2600 लोगों को नौकरी की पेशकश की, जिनका औसत वेतनमान 1.56 लाख डॉलर है। न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग के सहायक अटॉर्नी जनरल एरिक ड्रिबैंड ने आरोपों को सार्वजनिक करने वाले एक आधिकारिक बयान में कहा, 'फेसबुक इच्छुक और योग्य अमेरिकी श्रमिकों पर विचार करने के बजाय अस्थायी वीजा धारकों के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित करके जानबूझकर भेदभाव कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानून के उल्लंघन में संलग्न है। न्याय विभाग के अधिकारी ने आरोप लगाया है कि फेसबुक ने एच-1बी वीजाधारक 'कुशल कामगार' या अन्य अस्थायी वीजाधारक वाले उम्मीदवारों के लिए पदों को आरक्षित कर रखा है।' आरोप में यह भी कहा गया है कि फेसबुक अपनी वेबसाइट पर रिक्तियों की सूचना निकाले बिना सीधे वीजाधारकों को नौकरी देने की पेशकश करता है।

क्या है एच-1 बी वीजा

विशेष काम के लिए कर्मचारियों को दिया जाने वाला वीजा अमेरिका में एच-1बी वीजा कहा जाता है। एच-1 बी वीजा गैर-प्रवासी वीजा है। अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों के तकनीकी विशेषज्ञ नियुक्त करती हैं। नियुक्ति के बाद अमेरिकी सरकार से इन लोगों के लिए एच-1बी वीजा मांगा जाता है। अमेरिका की ज्यादातर आइटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति इसी वीजा के जरिए करती हैं। अगर किसी एच-1बी वीजाधारक व्यक्ति की कंपनी ने उसके साथ अनुबंध खत्म कर लिया है तो वीजा स्टेटस बनाए रखने के लिए उसे 60 दिनों में नई कंपनी में नौकरी तलाशनी होगी।


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