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जानिए अमेरिकी चुनाव में किन मुद्दों पर आमने-सामने आ रहे डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन

नवंबर माह में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन आमने-सामने हैं। ट्रंप अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं तो बिडेन उनके खराब कामों को गिनाने में लगे हुए हैं। कोरोनावायरस अर्थव्यवस्था नस्लीय हिंसा जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठाए जा रहे हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 04:42 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 11:47 AM (IST)
पहली डिबेट में आमने-सामने ट्रंप और जो बिडेन। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। नवंबर माह में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन आमने-सामने हैं। इन दोनों उम्मीदवारों के बीच पहली बार 6 मुद्दों को लेकर बहस हुई है। उम्मीद की जा रही है कि इन दोनों के बीच आगे होने दो डिबेट भी इऩ्हीं 6 मुद्दों के इर्द गिर्द घूमती रहेगी। दरअसल ये वो 6 मुद्दें हैं जो इन दिनों काफी चर्चा में है और हर अमेरिकी इसी बारे में दोनों उम्मीदवारों के विचार और उनकी रणनीति के बारे में जानना चाहता है।

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कोरोनावायरस का प्रसार 

इन दिनों अमेरिका में कोरोना वायरस का प्रचार भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है। अमेरिकी चुनाव में ये पहला मौका होगा जब इस तरह की किसी महामारी को चुनावी मुद्दा बनाया गया है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उन्होंने समय रहते सभी एहतियाती कदम उठाए जिससे कम से कम लोग इस महामारी का शिकार हो। लोगों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था का भी देखना था इस वजह से जो भी जरूरी हुआ वो कदम उठाए गए।

इस बात पर ट्रंप के प्रतिद्धदीं उन्हें घेर लेते हैं। जो बिडेन का कहना है कि यदि समय रहते सभी एहतियाती कदम उठा लिए गए तो दो लाख लोगों की मौत कैसे हो गई? यदि सभी कदम उठाए गए तो राज्य के राज्यपालों से मनमुटाव क्यों हुआ। सरकार ये परीक्षण करने में भी विफल रही कि वायरस कैसे फैल रहा था।

अर्थव्यवस्था 

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी अर्थ व्यवस्था को काफी मजबूत करना चाहते हैं। उनका सबसे मजबूत तर्क ये भी है कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुत से काम किए गए हैं। मगर लॉकडाउन के बाद हालात खराब हुए। अब ट्रंप ये वायदा कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था ठीक हो जाएगी, इसे और बेहतर किया जाएगा। साथ ही ये शर्त भी रख रहे हैं कि यदि उन्हें दुबारा से राष्ट्रपति बनने का मौका मिला तो। उधर जो बिडेन का कहना है कि ये राष्ट्रपति का कुप्रबंधन ही है जिसके कारण कोरोना वायरस फैला और अर्थव्यवस्था ऐसी स्थिति में पहुंच गई। 

सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति 

चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट में जज एमी कोनी बैरेट को नियुक्त किया जाना भी चुनावी मुद्दा बन गया है। ट्रंप के सामने चुनाव लड़ रहे जो बिडेन इसी भी मुद्दा बनाकर लोगों के सामने रख रहे हैं। बिडेन का कहना है कि ट्रंप अपने पसंद के लोगों को ऐसे पदों पर नियुक्त कर रहे हैं जो न्यायपालिका के साथ ठीक नहीं है। उनका आरोप है कि सभी स्तरों पर बेंच में रूढ़िवादी-झुकाव वाले न्यायाधीशों को चुनाव गया है। राष्ट्रपति ने पहले से ही दो अन्य सुप्रीम कोर्ट जस्टिस - नील गोरसच और ब्रेट कवानुआघ को नियुक्त किया है।

बिडेन ने सर्वोच्च न्यायालय में एक अश्वेत महिला को नामित करने का वादा किया है। हालांकि उन्होंने ट्रम्प की अगुवाई का पालन करने और संभावित उम्मीदवारों की सूची जारी करने से इनकार कर दिया है। जो बिडेन चुनाव जीतने के बाद लाखों अमेरिकियों के लिए स्वास्थ्य कवरेज का तर्क दे रहे हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य कानून को चुनौती देने के लिए चुनाव के दिन से एक सप्ताह बाद सुप्रीम कोर्ट में दलीलें सुनने के लिए निर्धारित है मगर ट्रंप प्रशासन अदालत से हड़ताल करने के लिए कह रहा है। 

अमेरिकी शहरों में नस्लीय हिंसा 

अमेरिका में कुछ माह पहले नस्लीय हिंसा हुई। यहां कई सालों से श्वेत-अश्वेत लोगों के बीच झगड़े होते रहते हैं। पुलिस भी अश्वेत लोगों पर जुल्म करती है। कुछ माह पहले यहां एक श्वेत पुलिस अधिकारी ने अश्वेत की गर्दन पर अपना घुटना रख दिया था जिससे उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। 

अब जो बिडेन कह रहे हैं कि ट्रंप सरकार ऐसे श्वेत अधिकारियों का बचाव करती है जो अश्वेत लोगों पर जुल्म करते हैं। उनका कहना है कि ऐसा भेदभाव करने के लिए एक कानून भी ट्रंप सरकार में ही बनाया गया है। बिडेन का कहना है कि यदि ट्रंप सरकार इस तरह का भेदभाव करने वाले अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर दंडात्मक कार्रवाई करे तो इन चीजों को बढ़ावा ही नहीं मिले। 

डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन के रिकॉर्ड 

इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन के राजनीतिक रिकॉर्ड को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं। दोनों एक दूसरे के समय को गिना रहे हैं और खुद को अधिक अनुभवी बता रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि उन्होंने राष्ट्रपति बनने से पहले जो भी वायदे किए थे उसे पूरा किया है और अगर अगला मौका मिला तो वो बाकी सारे वायदे भी पूरे करेंगे। 

उधर जो बिडेन अपने को ट्रंप से अधिक अनुभवी देश के लिए समर्पित बताकर वोट मांग रहे हैं। उनका कहना है कि वो बीते 36 साल से सीनेटर के रूप में और आठ साल उपराष्ट्रपति के रूप में काम कर चुके हैं। इसलिए उनके पास एक बड़ा रिकॉर्ड है। बिडेन ट्रंप को टैक्स अदा करने के मुद्दे पर भी घेर रहे हैं। एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने ये भी कहा है कि ट्रंप देश को टैक्स नहीं दे रहे जबकि वो यहां से लाखों डॉलर कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने 2016 में और 2017 में संघीय आयकर में केवल 750 डॉलर का भुगतान किया। 

चुनाव की प्रक्रिया पर भी सवाल 

दोनों उम्मीदवारों के बीच चुनाव की अखंडता को लेकर भी भ्रम बना हुआ है। ट्रंप कह रहे हैं कि वो मेल से आने वाले मतपत्रों पर भरोसा नहीं करेंगे तो बिडेन का कहना है कि ट्रंप की लोकप्रियता कम हो रही है, उनका जनाधार गिर रहा है इस वजह से वो ऐसे बयान दे रहे हैं। कई इलाके में उनको पसंद नहीं किया जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे तस्वीर साफ हो रही है, ट्रंप इससे घबराए हुए हैं।

ये भी कहा जा रहा है इस चुनाव में ट्रंप को हराने के लिए कुछ दूसरे देश भी हस्तक्षेप कर रहे हैं। चूंकि ट्रंप चीन और कुछ देशों के बर्ताव को लेकर काफी नाराज है इस वजह से ऐसे देश भी उनको चुनाव में जीतता हुआ नहीं देखना चाहते हैं। वो किसी न किसी तरह से जो बिडेन की मदद कर रहे हैं।  


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