ऑटिज्म जैसे मानसिक विकारों से पीड़ित बच्चों की देखभाल करेंगे ‘कीवी रोबोट’
ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है जिसके लक्षण बचपन से ही नजर आने लगते हैं। इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास उनकी हम उम्र के बच्चों की तुलना में काफी धीरे होता है।
लॉस एंजिलिस, प्रेट्र। भारतीय मूल के शोधकर्ताओं ने ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए रोबोट विकसित किए हैं और मशीन लर्निंग का उपयोग करके उनके साथ जुड़ने में शिशुओं की रुचि का अनुमान लगाया है। इसके आधार पर उनका दावा है कि इस रोबोट से ऑटिज्म जैसे मानसिक विकारों से पीड़ित बच्चों की बेहतर देखभाल हो सकती है।
ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है जिसके लक्षण बचपन से ही नजर आने लगते हैं। इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास उनकी हम उम्र के बच्चों की तुलना में काफी धीरे होता है। यह जन्म से लेकर तीन वर्ष की आयु तक विकसित होने वाला रोग है जो सामान्य रूप से बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करता है। इस अध्ययन के लिए अमेरिका की सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक महीने तक तीन और सात साल की उम्र के बीच ऑटिज्म से पीड़ित 17 बच्चों के घरों में कीवी नामक एक रोबोट रखा।
जर्नल साइंस रोबोटिक्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, बॉट्स हर बच्चे की सीखने की क्षमता के मुताबिक अपने निर्देश और प्रक्रियाओं को बेहतर कर सकते हैं। बॉट्स एक प्रोग्राम है, जो खुद ब खुद यूजर से इंट्रेक्ट करता है। रोबोटिक्स और कंप्यूटिंग के क्षेत्र में इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं- जब आप ऑनलाइन कोई गेम खेलते हैं तो आपके साथ खेलने वाले दूसरे खिलाड़ी बॉट्स ही होते हैं। अध्ययन पूरा होने के बाद शोधकर्ताओं ने रोबोट से प्रतिभागियों के जुड़ाव का आकलन किया और पाया कि रोबोट खुद से 90 फीसद तक यह सटीक पता लगा सकते हैं कि बच्चे उनके साथ व्यस्त थे या नहीं।
सख्त है रोबोटिक सिस्टम : सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से इस अध्ययन के प्रमुख लेखक शोमिक जैन ने कहा, ‘वर्तमान में रोबोटिक सिस्टम बहुत सख्त है।’ उन्होंने कहा कि यदि आप वास्तव में सीखने के माहौल के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले शिक्षकों को बच्चे के बारे में पता लगाना होता है और उसके बाद बच्चे उनसे सीखते हैं, लेकिन वर्तमान रोबोटिक्स प्रणालियों के साथ ऐसा नहीं होता है। नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने रोबोट्स की कार्य प्रणाली को स्मार्ट बनाने का प्रयास किया है।
ऐसे किया अध्ययन : वैज्ञानिकों ने बताया कि इस अध्ययन के दौरान बच्चों ने ‘कीवी’ के साथ टैबलेट पर अंतरिक्ष की थीम वाले गणित के खेल खेले। इस दौरान 2 फुट लंबे ‘कीवी’ को हरे पंखों वाले पक्षी की तरह कपड़े पहनाए गए थे। ताकि बच्चों की रोबोट के प्रति उत्सुक्ता बनी रहे। वैज्ञानिकों ने पाया कि रोबोट ने हर बच्चे
की मानसिक स्थिति का आंकलन करते हुए अपना व्यवहार भी उनके अनुकूल कर लिया था। जब भी बच्चे किसी प्रश्न का सही उत्तर देते थे तो रोबोट एक विशेष आवाज में ‘बहुत अच्छा’ बोलकर उनका उत्साह बढ़ाता था। शोधकर्ताओं ने कहा, इससे बच्चों में एकाकीपन के खतरे को भी बहुत हद तक कम किया जा सकता है।’
सहायक के रूप में रहेंगे मौजूद : इस अध्ययन के सह-लेखक कार्तिक महाजन ने कहा, ‘किसी भी बीमारी से निपटने के लिए डॉक्टरों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, लेकिन वे हमेशा पीड़ित परिवारों के लिए उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। इसीलिए इस तरह के सामाजिक रोबोट सहायक के रूप में अब हमारे पास हमेशा मौजूद हो सकते हैं, जो खास तौर पर हमारी मानसिक स्थिति को समझकर हमसे बातचीत करेंगे और ऑटिज्म जैसे रोग को बढ़ने से रोकेंगे।