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Kenya Presidential Election: क्यों महत्वपूर्ण माने जा रहे केन्या में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव, क्‍या है मुद्दे और लोगों की चुनौतियां

केन्‍या में लोग नए राष्‍ट्रपति के लिए मतदान करने जा रहे हैं। विपक्ष की कद्दावर नेता रैला ओडिंगा को दमदार उम्मीदवार माना जा रहा है। जानें क्‍यों महत्‍वपूर्ण माने जा रहे ये चुनाव क्‍या हैं चुनौतियां और मुद्दे...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2022 06:57 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2022 06:58 PM (IST)
समर्थकों का अभिवादन करते केन्या के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विलियम रुतो (AP Photo)

नेरोबी, एजेंसी। केन्‍या में एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद केन्याई राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा (President Uhuru Kenyatta) का उत्तराधिकारी चुनने की कवायद शुरू हो गई है। केन्‍या के लोग नए राष्‍ट्रपति के लिए मतदान करने वाले हैं। विपक्ष की कद्दावर नेता रैला ओडिंगा को दमदार उम्मीदवार माना जा रहा है। वह राष्ट्रपति पद के लिए पांचवें दौर का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्‍हें पूर्व प्रतिद्वंद्वी केन्याटा का समर्थन प्राप्त है। दूसरे उम्‍मीदवार विलियम रुतो हैं जो केन्याटा के डिप्टी हैं।

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उठाए जा रहे ये मुद्दे

दोनों उम्‍मीदवार घरेलू मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। दोनों पड़ोसी इथियोपिया में तनाव या रवांडा और कांगो के बीच विवादों को कम करने को लेकर वादों के साथ जनता के बीच में हैं। केन्या पूर्वी अफ्रीका का आर्थिक केंद्र है। इसकी आबादी लगभग 56 मिलियन है। देश में अशांत चुनावों का इतिहास रहा है। फिर भी यह मुल्‍क क्षेत्र में अपनी सापेक्ष स्थिरता के साथ खड़ा है।

रुटो उठा रहे ये मुद्दे

55 वर्षीय रुटो (William Ruto) खुद को युवा और गरीबों के नेता के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। वह अधिक कृषि उत्पादकता और अर्थव्‍यवस्‍था की मजबूती के मुद्दे उठा रहे हैं। कृषि केन्या की अर्थव्यवस्था का मुख्य जरिया है। लगभग 70 फीसद ग्रामीण कार्यबल खेती के काम में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि वह राष्‍ट्रपति बनते हैं तो उनकी सरकार नौकरी के अवसरों को बढ़ाने को लेकर काम करेगी।

चुनावों में पैसे का बोलबाला

केन्या में चुनावी अभियानों को लेकर दान या खर्च में कोई पारदर्शिता नहीं है। संसद और अन्य पदों के लिए कुछ उम्मीदवारों की ओर से कानूनी और अवैध दोनों तरह से सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए सैकड़ों हजारों डॉलर खर्च करने का अनुमान है। मंगलवार को मतदान के बाद एक सप्ताह के भीतर आधिकारिक परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।

इसलिए महत्‍वपूर्ण माना जा रहा यह चुनाव

हर चुनाव के प्रमुख मुद्दों में व्यापक भ्रष्टाचार और अर्थव्यवस्था शामिल है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भोजन और ईंधन की बढ़ती कीमतों से केन्याई परेशान हैं। इस संकट ने कोरोना महामारी के घावों को ताजा कर दिया है। देश में बेरोजगारी बड़ी समस्‍या है। देश के एक तिहाई से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं। 2017 में पिछले राष्ट्रपति चुनाव में अफ्रीका में पहली बारएक शीर्ष अदालत ने परिणामों को खारिज कर फ‍िर से मतदान का आदेश दिया था। यदि ऐसा हुआ तो अर्थव्‍यवस्‍था पर बोझ बढ़ेगा जिससे लोगों की समस्‍याएं बढ़ जाएंगी।  


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