Move to Jagran APP

अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति जिमी कार्टर की ब्रेन सर्जरी, हालत में सुधार

जिमी कार्टर Jimmy Carter की हालत में सुधार है। डॉक्‍टरों का दावा है कि मंगलवार को उनकी ब्रेन सर्जरी सफल रही।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 09:39 AM (IST)
अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति जिमी कार्टर की ब्रेन सर्जरी, हालत में सुधार
अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति जिमी कार्टर की ब्रेन सर्जरी, हालत में सुधार

वाश्‍िांगटन, एजेंसी । अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति जिमी कार्टर Jimmy Carter की हालत में सुधार है। डॉक्‍टरों का दावा है कि  मंगलवार को उनकी ब्रेन सर्जरी सफल रही। द हिल ने बताया कि कार्टर का मस्तिष्‍क पर दबाव से राहत पाने के लिए मंगलवार सुबह ब्रेन सर्जरी करवाई।

loksabha election banner

सर्जरी से कोई जटिलता नहीं उत्‍पन्‍न हुई। पूर्व राष्‍ट्रपति को मस्तिष्‍क के दबाव को दूर करने एक सोमवार को अटलांटा के एक अस्‍तपात में भर्ती कराया गया था। कार्टर इस वर्ष शुरू में अक्‍टूबर में अपने घर पर गिर गए थे। इससे उनके मस्तिष्‍क पर चोट लगी थी।

अमेरिका में इसलिए याद किए जाते हैं कार्टर 

  • जिमी कार्टर का पूरा नाम जेम्स अर्ल कार्टर जूनियर है। वह 1976 से 1980 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति बनने से पहले वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना में कार्यरत रहे,जॉर्जिया में सेनेटर रहे और जॉर्जिया के गवर्नर भी रहे।
  • राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद वे मानव अधिकार संस्थाओं एवं परोपकारी संस्थाओं के साथ जुड़े रहे। उन्हें 2002 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • राष्ट्रपति के तौर पर इनके कार्यकाल में निम्न मुख्य घटनाएँ हुईं। 1978 में कैंप डेविड में कार्टर ने मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल-सदात और इज़राइल के प्रधानमन्त्री मेनाखॅम बेगिन के बीच समझौता करवाया। इसके बाद 1979 में इज़राइल और मिस्र के बीच में शान्ति कायम हुई।
  • 1 जनवरी 1979 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीनी जनवादी गणराज्य को राजनयिक मान्यता दी और दोनों के बीच में राजनयिक सम्बन्ध कायम हुए। इसी के साथ चीनी गणराज्य की राजनयिक मान्यता रद कर दी गयी और राजनयिक सम्बन्ध औपचारिक रूप से तोड़ दिए गए।
  • 1979 में हुई ईरान की इस्लामी क्रांति के दौरान नवम्बर में तेहरान में स्थित अमेरिकी दूतावास पर उग्रवादी छात्रों ने कब्ज़ा कर लिया और 50 से अधिक अमेरिकी बंधी बना लिए गए। जब ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका कोई कूटनीतिक समाधान नहीं कर सके तो 1980 में सैन्य बल पर बंदियों को छुड़ाने की नाकाम कोशिश की गई जिसमें अमेरिकी सैनिकों की जान गई। अंत में बंधी 1981 में 444 दिनों के पश्चात छोड़े गए।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.